शामली : जिले के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील (mid day meal) वितरण की जिम्मेदारी संभाल रही एनजीओ नौनिहालों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ (health jeopardy) करने का काम कर रही है. एनजीओ द्वारा एक स्कूल में भेजे जा रहे बेस्वाद व बासी भोजन को छात्राओं ने खाने से इनकार कर दिया है. बासी भोजन के परोसने से बीमार होने का हवाला देते हुए अधिकतर छात्राएं अपने घरों से ही टिफिन लेकर स्कूल पहुंच रही हैं. मामले में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने गहनता के साथ जांच कराकर कार्रवाई करने की बात कही है.
दरअसल, मामला शामली जिले के कैराना नगर के मोहल्ला खैलकलां-कलालान का है. जहां प्राथमिक विद्यालय कन्या (नंबर-3) में 294 छात्राएं पढ़ाई करती हैं. स्कूल में छात्राओं को मध्याह्न में परोसने के लिए एनजीओ की ओर से मिड डे मील (mid day meal) भेजा जाता है. लेकिन, इन दिनों उन्हें मिड डे मील (mid day meal) गुणवत्तापूर्ण नहीं मिल रहा है. छात्राओं का कहना है कि कभी बेस्वाद भोजन मिलता है, तो कभी बासी रोटियां भेजी जाती हैं. सब्जी बनाते समय सामग्री की गुणवत्ता का ख्याल नहीं रखा जाता है, जिससे वह पानी समान दिखती है. ऐसे बेस्वाद और बासी भोजन को परोसने से सेहत बिगड़ने की बात कही जा रही है. इसी कारण अधिकतर छात्राएं अपने घरों से टिफिन में खाना लेकर पहुंचती हैं. वहीं अभिभावकों की शिकायत पर वार्ड सभासद पति मेहरबान अंसारी स्कूल पहुंचे. उन्होंने छात्राओं से मिड डे मील की गुणवत्ता के बारे में जानकारी की. सभासद पति ने मामले के संबंध में उच्चाधिकारियों को शिकायत करने की बात कही है.
बच्चे बोले, स्कूल में आता है खराब खाना : स्कूल में कक्षा चार में पढ़ने वाली छात्रा शाहिन ने बताया कि स्कूल में तीन-चार दिन की बासी रोटियां आती हैं, जबकि चावल कच्चे होते हैं. दाल भी पानी-सी मिलती है. सब्जी में नमक तेज होता है. इसलिए वह खाते नहीं हैं. घर से अपना टिफिन लेकर आते हैं. वहीं, कक्षा पांच की छात्रा फिजा ने कहा कि स्कूल में खाना खराब आता है. सब्जी में आलू साबुत व कच्चे होते हैं, उन्हें छीला भी नहीं जाता है. रोटियां बासी आती हैं. ऐसे खाने को खाने से बीमार होते हैं. इसलिए स्कूल का खाना नहीं खाते हैं.