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बोर्ड परीक्षा में नकल कराना 3 शिक्षिकाओं को पड़ा भारी, कोर्ट ने 21 साल बाद सुनाई सजा

मुजफ्फरनगर में न्यायालय ने बोर्ड परीक्षा में नकल कराने के एक मामले में मंगलवार (28 जून) को फैसला सुनाया है. इस मामले में 3 शिक्षिकाओं को कोर्ट ने 21 साल बाद सजा सुनाई है.

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कोर्ट ने 21 साल बाद सुनाई सजा

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Published : Jun 30, 2022, 3:47 PM IST

मुजफ्फरनगर:जनपद में मंगलवार (28 जून) को कोर्ट ने 21 साल बाद 3 शिक्षिकाओं को सजा सुनाई है. इन तीनों पर बोर्ड परीक्षा में नकल कराने का आरोप था. कोर्ट ने तीनों शिक्षिकाओं पर सजा के तौर पर 1500 रुपये जुर्माना लगाया है. जुर्माना अदा नहीं करने पर 7 दिन कारावास की सजा भी भुगतनी पड़ सकती है.

बता दें, कि 21 साल पहले 9 अप्रैल 2001 का मामला है. नई मंडी कोतवाली क्षेत्र स्थित वैदिक पुत्री पाठशाला इंटर कॉलेज में बोर्ड परीक्षा चल रही थी. तभी चार शिक्षिकाओं ने छात्रों को गाइड से नकल कराने में जुटी थी. तभी निदेशक सहारनपुर मंडल ने शिक्षिकाओं को नकल कराते हुए रंगे हाथों पकड़ा था. वैदिक पुत्री पाठशाला की प्राचार्य संतोष गोयल ने शिक्षिका कामनी, रीता, अर्चना और ऊषा पर नई मंडी कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था. इस मामले में चारों शिक्षिकाओं को अपनी जमानत करानी पड़ी थी. लेकिन अब इसी मामले में 21 साल बाद एसीजेएम-1 ने सजा सुनाई है.

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न्यायालय ने तीन शिक्षिकाओं को मामले में दोषी मानते हुए फैसला सुना दिया है. लेकिन इनमें से एक अन्य शिक्षिका ऊषा गुप्ता की फाइल अभी कोर्ट में रखी है. उसका फैसला आना बाकी है. मुजफ्फरनगर अभियोजन अधिकारी राम अवतार सिंह ने बताया कि थाना नई मंडी में 9 अप्रैल 2001 को एक मुकदमा दर्ज हुआ था. यह मामला वैदिक पाठशाला इंटर कॉलेज नई मंडी के प्रिसिंपल संतोष गोयल ने दर्ज कराया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि परीक्षा के दौरान चारों शिक्षिकाएं बच्चों को नकल करा रही थी. इसी मामले में अदालत ने दोषी शिक्षिकाओं पर 1500 रुपये का अर्थदंड लगाया है.

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