मेरठ:खराब मोबाइल सेट भी अगर गलत हाथों तक पहुंच गई तो उसके भी दुरुपयोग होने की उतनी ही सम्भावना बन जाती है, जितना कि एक सही मोबाइल सेट के गलत हाथ में जाने पर. मोबाइल सेट को लेकर सावधानी बरतनी बेहद जरूरी है. बंद मोबाइल सेट से कोई भी साइबर फ्रॉड हो सकता है, बल्कि सम्भावना ये भी है कि फैक्ट्री रिसेट के बाद भी विभिन्न सॉफ्ट वेयर के माध्यम से डाटा रिकवर किया जा सकता है.
आमतौर पर देखा जाता है कि इस्तेमाल के दौरान मोबाइल सेट में कोई तकनीकी खराबी हो जाती है. कुछ लोग नया सेट लेकर दूसरा विकल्प तलाश लेते हैं. वहीं, कुछ लोग ये भी कोशिश करते हैं कि वही मोबाइल सेट रिपेयर करा लिया जाए. ऐसे में वो मोबाइल सेट हम कबाड़ समझकर कूड़े के दाम में किसी फेरीवाले या कबाड़ी वाले को दे देते हैं, तो ये कदम किसी के लिए भी नुकसान दायक हो सकता है.
आजकल तो बाजारों में नया मोबाइल बेचने के लिए भी दुकानदार वाकायदा बोर्ड लगाते हैं. अलग -अलग माध्यमों से प्रचार करते हैं कि पुराना मोबाइल लाएं व नया ले जाएं. कुछ लोग तो गली-मोहल्लों में आवाज लगाते फिरते हैं कि खराब मोबाइल बेचे. देखा भी गया है कि कुछ रुपयों में ही गली-मोहल्लों में घूमने वाले कबाड़ी या फेरीवाले को खराब मोबाइल फोन बेच देते हैं.
इस बारे में हमने एक फेरी वाले से बात की तो उसने बताया कि वह की-पैड वाला मोबाइल 10 से 20 रुपये में लोगों से ले लेता है. जबकि एंड्रॉयड सेट 50 रुपये तक में ले लेता है. ये प्रक्रिया यहीं समाप्त नहीं होती, बल्कि इसके बाद वो मोबाइल फिर आगे बिक्री होती है. इस बारे में तकनीकी ज्ञान रखने वाले लोग भी मानते हैं कि अगर घर में कोई भी खराब मोबाइल सेट या गैजेट्स खराब हैं तो उसको फेरी वालों या कबाड़ियों को देना घातक साबित हो सकता है.
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