लखनऊ : भूगर्भ जल का भंडार तेजी से खाली हो रहा है. इसे लेकर प्रदेश सरकार (state government) काफी चिंतित है और इसे रोकने के लिए कई उपाय भी किए जा रहे हैं. भूगर्भ जल स्तर में सुधार और सूखे के दौरान सिंचाई के काम आने के लिए सरकार गंगा नदी के किनारे बहुउद्देशीय गंगा तालाबों का भी निर्माण करा रही है. आजादी के अमृत महोत्सव (Azadi ka amrat mahotsav) के उपलक्ष्य में बनाए जा रहे अमृत सरोवरों का भी यही उद्देश्य है. फिलहाल उत्तर प्रदेश इनके निर्माण में नंबर एक है. ग्राम्य विकास विभाग से मिले अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में अमृत सरोवर के रूप में अब तक 15441 तालाबों का चयन हुआ है. 10656 के निर्माण का काम चल रहा है. 8389 तालाब अमृत सरोवर के रूप में विकसित किए जा चुके हैं.
सरकार द्वारा शुरू की गई अमृत सरोवर योजना कालांतर में सबकी मदद से सबके लिए और पानी की हर बूंद को संरक्षित करने के साथ अपनी परंपरा को सहेजने की नजीर भी बनेगी. उल्लेखनीय है कि पहले भी तालाब, कुएं, सराय, धर्मशाला और मंदिर जैसी सार्वजनिक उपयोग की चीजों के निर्माण का निर्णय भले किसी एक का होता था, लेकिन इनके निर्माण में स्थानीय लोगों के श्रम एवं पूंजी की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी. यही वजह है कि बात चाहे लुप्तप्राय हो रही नदियों के पुनरुद्धार की हो या अमृत सरोवरों के निर्माण की, सरकार सबको जनता से जोड़कर जनांदोलन बनाने की बात करती है. अमृत सरोवरों की रिकॉर्ड संख्या के निर्माण के पीछे यही वजह है, इसी के बूते पहले हर जिले में एक अमृत सरोवर के निर्माण का लक्ष्य था. बाद में इसे बढ़ाकर हर ग्राम पंचायत में दो अमृत सरोवरों का निर्णय किया गया है. इस सबके बनने पर इनकी संख्या एक लाख 16 हजार के करीब हो जाएगी. भविष्य में यह सरोवर अपने अधिग्रहण क्षेत्र में होने वाली बारिश की हर बूंद को सहेजकर स्थानीय स्तर पर भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाएंगे. बारिश के पानी का उचित संग्रह होने से बाढ़ और जलजमाव की समस्या का भी हल निकलेगा. यही नहीं सूखे के समय में यह पानी सिंचाई एवं मवेशियों के पीने के काम आएगा. भूगर्भ जल की तुलना में सरफेस वाटर से पंपिंग सेट से सिंचाई कम समय में होती है. इससे किसानों का डीजल बचेगा. कम डीजल जलने से पर्यावरण संबंधी होने वाला लाभ बोनस होगा.
यह भी पढ़ें : योगी के छह माह, विकास के रास्ते पर सरकार, चुनौतियां बरकरार
भूगर्भ जलस्तर सुधार के लिए सरकार गंभीर, अमृत सरोवर बदलेंगे तस्वीर
भूगर्भ जल का भंडार तेजी से खाली हो रहा है. इसे लेकर प्रदेश सरकार (state government) काफी चिंतित है और इसे रोकने के लिए कई उपाय भी किए जा रहे हैं. भूगर्भ जल स्तर में सुधार और सूखे के दौरान सिंचाई के काम आने के लिए सरकार गंगा नदी के किनारे बहुउद्देशीय गंगा तालाबों का भी निर्माण करा रही है.
दरअसल, बारिश के हर बूंद को सहेजने के इस प्रयास का सिलसिला भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल से ही शुरू हो गया था. गंगा एवं अन्य बड़ी नदियों के किनारे बन रहे बड़े एवं बहुउद्देश्यीय तालाब और खेत-तालाब जैसी योजनाएं इसका प्रमाण हैं. इसी मकसद से सरकार अब तक 24583 खेत-तालाब खुदवा चुकी है. इनमें से अधिकांश (80 फीसद) बुंदेलखंड, विंध्य, क्रिटिकल एवं सेमी क्रिटिकल ब्लाकों में हैं.
यह भी पढ़ें : विश्व बाजार में रुपये की गिरावट पर मायावती ने जताई चिंता, सरकार को घेरा