लखनऊ : प्रदेश सरकार अपने पहले कार्यकाल से ही मथुरा का द्वापरकालीन वैभव लौटने का हर संभव प्रयास कर रही है. सबसे पहले 'उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद' का गठन कर उन्होंने मथुरा ही नहीं, राधा कृष्ण की लीलास्थली रही पूरे ब्रज क्षेत्र के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर कर दी. यही नहीं उनके दूसरे कार्यकाल में मंत्रिपरिषद के समक्ष हुए प्रस्तुतिकरण में भी पर्यटन विभाग ने धार्मिक लिहाज से जिन पांच शहरों को वैश्विक स्तर की सुविधाओं से संतृप्त करने का लक्ष्य रखा है, उनमें मथुरा भी है. बाकी शहर काशी, अयोध्या, चित्रकूट और गोरखपुर हैं.
उल्लेखनीय है कि भगवान श्रीकृष्ण एवं श्रीराधारानी की लीलास्थली रहे पवित्र ब्रज भूमि को भगवान श्रीकृष्ण का नित्यवास स्थल माना जाता है. यह लीलास्थल आज भी श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के आस्था के केंद्र हैं. पूरे साल यहां देश-विदेश के पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है. इसमें ब्रज क्षेत्र के आठ स्थल (वृंदावन बरसाना, नंदगांव गोवर्धन, राधाकुंड, गोकुल, बलदेव एवं मथुरा) धार्मिक लिहाज से सबसे प्रमुख हैं. इनको ब्रज का धरोहर माना जाता है. इन धरोहरों की पुनर्प्रतिष्ठा के उद्देश्य से ही उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन किया गया है.
2018 से 2022 तक योगी सरकार द्वारा लगभग 400 करोड़ रुपये की 102 परियोजनाएं स्वीकृत की गईं. इनमें से 75 फीसद पूरी हो चुकी हैं. ब्रज चौरासी कोस में मथुरा जिले की सीमा में आने वाली जगहों के नियोजित, समन्वित और सर्वांगीण विकास के साथ ब्रज की विरासत और संस्कृति संरक्षण के लिए गठन के बाद से ही ब्रज तीर्थ विकास परिषद लगातार काम कर रहा है. नंदगांव, गोवर्धन, गोकुल, महावन स्थित रसखान समाधि, चिंताहरण महादेव घाट, ब्रह्मांड घाट, भांडीर वन, भद्रवन, बंशीवट आदि धार्मिक स्थलों का तीर्थ एवं पर्यटन की दृष्टि से विकास कराया जा चुका है.