लखनऊ: परिवहन निगम के कर्मचारियों को कई सौगातें इसी साल मिली हैं. परिवहन विभाग ने कई सेवाओं की शुरुआत की जिससे आवेदकों को राहत मिली. वाहन स्वामियों के लिए भी कई राहतें प्रदान की गईं, लेकिन ड्राइविंग लाइसेंस का सिस्टम पटरी पर नहीं आ पाया.
लखनऊ में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम का दफ्तर बात अगर लखनऊ मेट्रो की करें तो प्रदेश के दो शहरों में मेट्रो का काम पूरा हुआ, लेकिन लखनऊ में पिछले सालों की तरह साल 2021 में भी कुछ नहीं हुआ. एक कदम भी मेट्रो का काम लखनऊ में आगे नहीं बढ़ा. हालांकि साल जाते-जाते कानपुरवासियों को मेट्रो की सौगात मिल गई. रेलवे की हालत भी कोरोना के कारण खस्ता ही रही.
बेड़े में नहीं जुड़ पाई एक भी नई बस
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम हर साल अपने बस बेड़े में सैकड़ों नई बसें जोड़ता है, लेकिन साल 2021 ऐसा वर्ष रहा जब परिवहन निगम के बेड़े में एक भी नई बस नहीं जुड़ सकी, उल्टा फ्लीट में कई बसें कंडम होने के चलते कम जरूर हो गईं.
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें परिवहन निगम प्रशासन का प्लान 1000 नई बसें खरीदने का था. बोर्ड बैठक में प्रस्ताव भी पारित हो चुका था लेकिन पैसे की समस्या के चलते कुछ नहीं हो सका. परिवहन निगम का बस बेड़ा करीब साढे 10 हजार बसों का है लेकिन अब इस बेड़े में भी सैकड़ों बसें कम हो गई हैं.
शासन ने नहीं किया करीब साढे़ पांच सौ करोड़ का भुगतान
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम का शासन पर कोरोना काल के दौरान बसें संचालित करने और पंचायत चुनाव में बसें भेजने का तकरीबन 544 करोड़ रुपए बकाया है. कई बार परिवहन निगम की तरफ से कोशिश भी की गई, लेकिन शासन से भुगतान नहीं हुआ.
लखनऊ में यूपी परिवहन आयुक्त कार्यालय शासन से पेमेंट होता तो परिवहन निगम की जो 390 करोड़ रुपए से नई एसी और नॉन एसी बसें खरीदने का प्लान था वह पूरा हो पाता, लेकिन साल 2021 गुजर गया न शासन ने भुगतान किया और न ही परिवहन निगम नई बस खरीद पाया. नई बसें न आने से यात्रियों को अब बसों के इंतजार में काफी वक्त बस स्टेशन पर गुजारना पड़ता है.
कई साल बाद मिला निगम को पूर्णकालिक एमडी
पिछले कई सालों से परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक के तौर पर अतिरिक्त अधिकारी को ही प्रबंध निदेशक का दायित्व थमा दिया जाता था, लेकिन साल 2021 में परिवहन निगम को कई साल बाद पूर्णकालिक प्रबंध निदेशक मिला. आईएएस नवदीप रिणवा ने परिवहन निगम के एमडी के रूप में कार्यभार संभाला और इसके बाद उन्होंने परिवहन निगम को बेहतर करने की दिशा में प्रयास करने शुरू किए.
कर्मचारियों के लिए बेहतर रहा साल
भले ही परिवहन निगम प्रशासन को कोरोना से 2021 में कितना ही घाटा क्यों न उठाना पड़ा हो, लेकिन निगम कर्मचारियों के लिए अन्य सालों की तुलना में साल 2021 बेहतर ही कहा जाएगा. वजह है कि परिवहन निगम के एमडी नवदीप रिणवा ने कमान संभालते ही कर्मचारियों की कई ऐसी मांगों को पूरा कर दिया, जो पिछले कई वर्षों से लंबित चल रही थीं.
इन मांगों के लिए कई बार प्रदर्शन भी हो चुके थे. कर्मचारियों की जब मुंहमांगी मुराद पूरी हुई, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. कर्मचारियों के फिक्स वेतन के साथ ही भत्तों में बढ़ोतरी की गई. संविदा कर्मियों को भी सौगातें दी गईं. वेतनमान में बढ़ोतरी की गई.
इलेक्ट्रिक बसों की हुई शुरुआत
साल 2021 में लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के सात शहरों में रहने वाले लोगों को पहली बार इलेक्ट्रिक बसों की सौगात मिली है. लखनऊ में कुल 57 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन को हरी झंडी मिली और यह बसें पूरी तरह वातानुकूलित हैं, साथ ही इनका किराया भी साधारण बसों के समान ही यात्रियों से वसूला जा रहा है.
ऑनलाइन सेवाओं ने दी राहतसाल 2021 में परिवहन विभाग की बात करें तो विभाग ने जनता को कई तरह की सहूलियत प्रदान करने के प्रयास किए, जिनमें ऑनलाइन सेवाओं को बढ़ाया गया. डीलर प्वाइंट रजिस्ट्रेशन की शुरुआत की गई. इसके बाद वाहन स्वामी को शोरूम पर ही गाड़ी का नंबर मिल जाता है. उनको आरटीओ कार्यालय के चक्कर लगाने के झंझट से मुक्ति मिल गई. इसके अलावा आधार प्रमाणीकरण की व्यवस्था भी शुरू की गई. ऑनलाइन टैक्स जमा करने के साथ ही वाहनों के फिटनेस की डेट लेने की भी शुरुआत हो गई.
घर बैठे लर्नर लाइसेंस का ख्वाब अधूरापरिवहन विभाग ने लर्नर लाइसेंस के लिए आवेदकों को आरटीओ कार्यालय जाना ही न पड़े, इसके लिए घर बैठे ही ऑनलाइन व्यवस्था शुरू करने की बात कही थी. बाराबंकी और उन्नाव में पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस सुविधा की शुरुआत की गई, लेकिन इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका. लिहाजा, 2021 में आवेदकों को घर बैठे लर्नर लाइसेंस की सुविधा नहीं मिल पाई. उन्हें अभी भी आरटीओ कार्यालय जाकर ही अपनी लर्नर लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया पूरी करनी पड़ रही है.
कम कर दिए गए स्लॉट, घट गई लाइसेंस की संख्याकोरोना के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए परिवहन विभाग ने लखनऊ समेत सभी प्रदेश के आरटीओ कार्यालयों में ड्राइविंग लाइसेंस के स्लॉट की संख्या में कमी कर दी. इससे पहले की तुलना में इस साल ड्राइविंग लाइसेंस की संख्या में काफी कमी आ गई. परिवहन विभाग के राजस्व पर भी काफी असर पड़ा, वहीं आवेदकों को भी लाइसेंस बनवाने में तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ा. उन्हें देर से ड्राइविंग लाइसेंस उपलब्ध हो पाए.
भारत सीरीज की हुई शुरुआत
साल 2021 में परिवहन विभाग ने लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में भारत सीरीज के वाहनों की शुरुआत कर दी. इस सीरीज में वाहन स्वामी अगर अपना वाहन रजिस्टर्ड कराएगा, तो भारत के किसी भी राज्य में जाने पर दोबारा उस वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं कराना होगा. इससे वाहन स्वामियों को काफी सहूलियत मिली. हालांकि इसमें कुछ शर्तें भी हैं, जिन्हें पूरा करने के बाद ही भारत सीरीज का नंबर वाहन स्वामी को मिल सकेगा.
स्पेशल ट्रेन के नाम पर रेलवे ने यात्रियों को ठगा
कोरोना साल में ऐसा पहली बार हुआ जब ट्रेनें भी लॉकडाउन की भेंट चढ़ गईं. ट्रेनों का संचालन भी बाधित हो गया. इससे रेलवे को कई करोड़ का नुकसान तो हुआ लेकिन बड़ी ही चालाकी से रेलवे प्रशासन ने इसकी भरपाई यात्रियों से कर ली. दरअसल, सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर रेलवे ने अपनी ट्रेनों को स्पेशल ट्रेन में कन्वर्ट कर दिया और किराया भी काफी बढ़ा दिया. इससे कोरोना के दौर में ट्रेनें बंद रहने से जो घाटा हुआ उसकी काफी हद तक भरपाई भी कर ली. यात्रियों को साल 2021 में ट्रेन से सफर करने पर अपनी जेब पिछले सालों की तुलना में कहीं ज्यादा ढीली करनी पड़ गई.
साल 2021 में यात्रियों के लिए एक बेहतर सौगात रेलवे प्रशासन की तरफ से जरूर दी गई, वह थी लखनऊ-वाराणसी के बीच शटल एक्सप्रेस ट्रेन की शुरुआत. इस ट्रेन से अब लखनऊ से बनारस के बीच की दूरी तय करने में लगने वाले समय की काफी बचत होने लगी. 4 घंटे 10 मिनट में यात्री शटल एक्सप्रेस ट्रेन से लखनऊ से बनारस की अपनी यात्रा पूरी कर लेते हैं.
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के लिहाज से अगर साल 2021 को देखा जाए, तो इसे मिलाजुला कहा जा सकता है. लखनऊवासियों को लखनऊ मेट्रो की तरफ से मायूसी हाथ लगी तो कानपुरवासियों को सौगात मिली. लखनऊ में चारबाग से वसंत कुंज के बीच मेट्रो सेवा की शुरुआत हो ही नहीं पाई.
पहले ही की तरह एयरपोर्ट से मुंशीपुलिया के बीच ही मेट्रो संचालित हो रही है. शहरवासियों को उम्मीद थी कि 2021 में चारबाग से वसंतकुंज तक लखनऊ मेट्रो शुरू हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हां यह जरूर है कि साल जाते-जाते कानपुरवासियों को मेट्रो की सौगात जरूर मिल गई जबकि आगरा और गोरखपुर में मेट्रो का काम तेजी से चल रहा है.
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