नोट : विश्व रेबीज दिवस, यह खबर बुधवार (28 सितंबर) के लिए है
लखनऊ : पालतू जानवरों के चाटने या काटने पर भी इंसान के शरीर में रेबीज प्रवेश कर सकता है. दरअसल, व्यक्ति का खून जब जानवरों की लार के संपर्क में आता है तो उसे रेबीज का खतरा बढ़ जाता है. रेबीज की समस्या कुत्ते, बंदर, बिल्ली आदि जानवरों के काटने से होती है. अस्पतालों में रोजाना पांच से दस लोग रेबीज का इंजेक्शन लगवाने आते हैं.
सिविल अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. आनंद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि रेबीज एक विषाणु जनित रोग है. जब तक इसके लक्षण शुरू होते हैं, तब तक यह घातक होता है. उन्होंने बताया कि यह जानवरों से मनुष्यों में फैलता है तथा मनुष्यों के लगभग 99 प्रतिशत मामलों में कुत्ते का काटना कारण होता है. मनुष्य के शरीर में रेबीज का वायरस, रेबीज से पीड़ित जानवर के काटने, उससे होने वाले घाव और खरोंच एवं लार से प्रवेश करता है. कुत्ते के काटने के बाद रेबीज के लक्षण एक से तीन महीने में दिखाई देते हैं. कुत्ते के काटने से बचने के लिए लोगों को विशेषकर बच्चों को उसके व्यवहार और उसकी शारीरिक भाषा (जैसे कि क्रोध, संदिग्धता, मित्रता) के बारे में जरूर बताएं. रेबीज की रोकथाम के लिए कुत्ते के काटने पर पोस्ट एक्सपोजर टीकाकरण (काटने के बाद टीकाकरण) लें.
विश्व रेबीज दिवस का इतिहास : उन्होंने बताया कि विश्व रेबीज दिवस (World Rabies Day) पहली बार 28 सितंबर, 2007 को मनाया गया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन, अमेरिका और एलायंस फॉर रेबीज कंट्रोल के बीच साझेदारी में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. अंतरराष्ट्रीय अभियान की शुरुआत दुनिया में रेबीज के प्रतिकूल प्रभावों से पीड़ित होने के बाद की गई.