लखनऊ: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) अधिकारियों की तैनाती ही नहीं है, जिससे मनरेगा के अंतर्गत होने वाले कामकाज भी प्रभावित हो रहे हैं. ग्रामीण विकास विभाग में कई जिलों में मनरेगा के कामकाज की पूरी मॉनिटरिंग करने वाले उपायुक्त के पद पर अधिकारी ही तैनात नहीं हैं. विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अब उत्तर प्रदेश में नई सरकार के गठन के साथ ही इस समस्या को दूर करते हुए मनरेगा के कामकाज को व्यवस्थित तरीके से कराया जाएगा. अफसरों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर शासन स्तर पर एक प्रस्ताव भी तैयार किए जाने का काम शुरू कराया जा रहा है. इससे नई सरकार के गठन होते ही इस समस्या का समाधान हो और मनरेगा का कामकाज व्यवस्थित तरीके से आगे बढ़ाया जा सके.
सूत्रों के अनुसार ग्रामीण विकास विभाग ने रोजगार गारंटी परिषद के चेयरमैन और उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा को सीडीए के अंतर्गत सभी जिलों में मनरेगा उपायुक्त की प्राथमिकता पर तैनाती की मंजूरी प्रदान किए जाने का प्रस्ताव बनाकर भेजा है. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, अमेठी और आजमगढ़ सहित प्रदेश के कई जिलों में उपायुक्त मनरेगा की तैनाती नहीं है. इससे मनरेगा के कामकाज प्रभावित हो रहे हैं.
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गौरतलब है कि ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत ग्रामीण स्तर पर रोजगार सृजन कराने का काम मनरेगा के स्तर पर होता है. हर वर्ष जिला स्तर पर लोगों को मनरेगा के अंतर्गत रोजगार मुहैया कराने का काम कराया जाता है. इसको लेकर योजनाओं और परियोजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए प्रत्येक जिले में उपायुक्त मनरेगा की तैनाती की व्यवस्था है. लेकिन प्रदेश के श्रेणी एक के अंतर्गत आने वाले 18 जिले और श्रेणी 2 के अंतर्गत आने वाले 9 जिलों में मनरेगा उपायुक्त की तैनाती नहीं है, जिससे तमाम तरह का मनरेगा में रोजगार देने का कामकाज प्रभावित हो रहा है.
जिन जिलों में उपायुक्त मनरेगा की तैनाती नहीं है. उनमें श्रेणी एक के अंतर्गत आने वाले गोरखपुर, आजमगढ़, बस्ती, गाजीपुर, प्रतापगढ़, देवरिया, अलीगढ़, चंदौली, हमीरपुर अमेठी, मुरादाबाद, अमरोहा, फर्रुखाबाद, सहारनपुर, आगरा, महोबा, श्रावस्ती और एटा शामिल हैं. इसके अलावा श्रेणी दो के अंतर्गत आने वाले कानपुर नगर, कासगंज, बुलंदशहर, हाथरस, मेरठ मुजफ्फरनगर, बागपत गाजियाबाद और शामली जिले शामिल हैं.
उत्तर प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि जिन जिलों में उपायुक्त मनरेगा के पद पर तैनाती नहीं है. उसको लेकर आने वाले समय में इस समस्या को दूर कराने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे मनरेगा का कामकाज पूरी तरह से व्यवस्थित ढंग से आगे बढ़ाया जा सके.
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