लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बाजरे के दिन और बहुरने वाले हैं. बाजरे के प्रति हेक्टेयर उपज, कुल उत्पादन और फसल आच्छादन के क्षेत्र (रकबे) में लगातार वृद्धि हो रही है. इसके बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) की मंशा है कि अपने पौष्टिक गुणों के कारण चमत्कारिक अनाज कहे जाने वाले बाजरे की खेती को यथा संभव प्रोत्साहन दिया जाए. यही वजह है कि विधानसभा चुनाव (assembly elections) के तुरंत बाद अगले 100 दिन, छह माह, दो साल और पांच साल के काम का लक्ष्य तय करने के लिए सेक्टरवार मंत्री परिषद के समक्ष प्रस्तुतीकरण लिया था. इसी क्रम में सामाजिक सेक्टर के प्रस्तुतिकरण के दौरान उन्होंने निर्देश दिया था कि न्यूट्रीबेस्ड फूड बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद और वितरण की व्यवस्था की जाए.
सीएम योगी के निर्देश पर अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 (International meet year 2023) में बाजरा एवं ज्वार सहित लुप्तप्राय हो रही कोदो और सावा की फसल को प्रोत्साहित करने के लिए कृषि विभाग ने कई योजनाएं तैयार की हैं. बाजरे की खेती के लिए किसानों को इसकी खूबियों के प्रति जागरूक करने की जरूरत है. अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 (International meet year 2023) का मकसद भी यही है. इस दौरान राज्य स्तर पर दो दिन की एक कार्यशाला आयोजित की जाएगी. इसमें विषय विशेषज्ञ 250 किसानों को मोटे अनाज की खेती के उन्नत तरीकों, भंडारण एवं प्रसंस्करण के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा. जिलों में भी इसी तरह के प्रशिक्षण कर्यक्रम चलेंगे.
उल्लेखनीय है कि गेहूं, धान और गन्ने के बाद उत्तर प्रदेश की चौथी प्रमुख फसल है, बाजरा. खाद्यान्न एवं चारे के रूप में प्रयुक्त होने के नाते यह बहुपयोगी भी है. पोषक तत्वों के लिहाज से इसकी अन्य किसी अनाज से तुलना ही नहीं है. इसलिए इसे चमत्कारिक अनाज, न्यूट्रिया मिलेट्स, न्यूट्रिया सीरियल्स भी कहा जाता है. इसी क्रम में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission) के तहत 24 जिलों में दो दिवसीय किसान मेले आयोजित होंगे. हर मेले में 500 किसान शामिल होंगे. इसमें वैज्ञानिकों के साथ किसानों का सीधा संवाद होगा. ज्वार की खूबियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए रैलियां निकाली जाएंगी. राज्य स्तर पर इनकी खूबियों के प्रचार-प्रसार के लिए दूरदर्शन, आकाशवाणी, एफएम रेडियो, दैनिक समाचार पत्रों, सार्वजिक स्थानों पर बैनर, पोस्टर के जरिए आक्रामक अभियान भी चलाया जाएगा.
कृषि विज्ञानी बताते हैं कि इसकी खेती हर तरह की भूमि में संभव है. न्यूनतम पानी की जरूरत, 50 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी परागण, मात्र 60 महीने में तैयार होना और लंबे समय तक भंडारण योग्य होना इसकी अन्य खूबियां हैं. चूंकि इसके दाने छोटे एवं कठोर होते हैं, ऐसे में उचित भंडारण से यह दो साल या इससे अधिक समय तक सुरक्षित रह सकता है. इसकी खेती में उर्वरक बहुत कम मात्रा में लगता है. साथ ही भंडारण में भी किसी रसायन की जरूरत नहीं पड़ती, लिहाजा यह लगभग बिना लागत वाली खेती है. बाजरा पोषक तत्त्वों का खजाना है. खेतीबाड़ी और मौसम के प्रति सटीक भविष्यवाणी करने वाले कवि घाघ भी बाजरे की खूबियों के मुरीद थे. अपने एक दोहे में उन्होंने कहा है, 'उठ के बजरा या हंसि बोले। खाये बूढ़ा जुवा हो जाय'।