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महिला डॉक्टर की जान बचाने आगे आई यूपी सरकार, फेफड़ा ट्रांसप्लांट के लिए दिए डेढ़ करोड़

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Published : Jul 7, 2021, 1:42 PM IST

Updated : Jul 7, 2021, 2:25 PM IST

लोहिया संस्थान के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में जूनियर रेजिडेंट पद पर तैनात डॉ. शारदा सुमन को फेफड़ा ट्रांसप्लांट के लिए यूपी सरकार ने डेढ़ करोड़ रुपये मंजूर कर दिए हैं. ऐसे में सरकार ने डॉक्टर का लंग ट्रांसप्लांट कराने की जिम्मेदारी लेते हुए कमेटी का गठन किया है.

महिला डॉक्टर की जान बचाने आगे आई यूपी सरकार
महिला डॉक्टर की जान बचाने आगे आई यूपी सरकार

लखनऊ:कोरोना काल में महिला चिकित्सक डॉ. शारदा सुमन मरीजों की जान बचाने में जुटी रहीं. जहां उन्होंने इमरजेंसी में आ रहीं गंभीर महिलाओं का प्रसव कराया. उस दौरान वह खुद भी गर्भवती थी, लेकिन अपने कोख में पल रहे बच्चे की परवाह न करते हुए वह कर्तव्य पथ पर डटी रहीं. इस दौरान डॉ. शारदा भी कोरोना की चपेट में आ गईं और उनका फेफड़ा खराब हो गया. डेढ़ महीने से डॉ. शारदा ऑक्सीजन पर हैं. ऐसे में सरकार ने डॉक्टर का लंग ट्रांसप्लांट कराने का बीड़ा उठाया है. सरकार ने इसके लिए डेढ़ करोड़ रुपये की मंजूरी भी दे दी है.

जानकारी देतीं लोहिया संस्थान की निदेशक डॉ सोनिया नित्यानंद

लोहिया संस्थान की निदेशक डॉ. सोनिया नित्यानंद के मुताबिक स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में डॉ. शारदा सुमन जूनियर रेजिडेंट के पद पर हैं. वह संस्थान से डीएनबी कोर्स भी कर रही हैं. हाल में ही उनकी शादी हुई थी. पति भी बतौर रेजिडेंट कार्यरत हैं. डॉ. शरादा गर्भवती थीं. बावजूद उन्होंने मेडिकल लीव नहीं ली. कोरोना की लहर के बीच महिला इमरजेंसी में ड्यूटी करती रहीं. कई गर्भवती महिलाओं का इलाज कराया. उनका प्रसव कराया. इसी बीच 12 अप्रैल को शारदा को बुखार आया. इसके बाद जांच कराई तो 14 अप्रैल को उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गई.

वेंटिलेटर पर कराया गया था प्रसव

कोरोना पॉजिटिव आने के बाद डॉ शारदा को सांस लेने में तकलीफ होने लगी. 14 अप्रैल को उन्हें लोहिया के कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया. हालात बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर भर्ती किया गया. एक मई को डॉक्टरों ने शिशु की जान बचाने का फैसला किया. ऐसे में वेंटिलेटर पर भर्ती गर्भवती रेजिडेंट डॉक्टर का प्रसव कराया. वहीं डॉक्टर की हालत गंभीर बनी हुई है.

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डॉ. शारदा की कोरोना रिपोर्ट छह मई को नेगेटिव आई थी. लेकिन इस दौरान उनका फेफड़ा पूरी तरह खराब हो गया. इसके बाद उन्हें नॉन कोविड आईसीयू में शिफ्ट कर ईकमो मशीन पर रखा गया. यह मशीन कृत्रिम हार्ट व फेफड़े का काम करती है.

लोहिया संस्थान की निदेशक डॉ सोनिया नित्यानंद के मुताबिक सीएमएस, एमएस संग मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी. उन्हें डॉक्टर की हालत के बारे में जानकरी दी. डॉक्टर की जान बचाने के लिए लंग ट्रांसप्लांट ही विकल्प बताया गया. इसके बाद कमेटी बनी. उसने रिपोर्ट सौंपी, जिसके बाद मंगलवार को सरकरा की तरफ से डेढ़ करोड़ रुपये मिल गए हैं. देश में चार जगह लंग ट्रांसप्लान्ट होता है. डॉक्टर को हैदराबाद व चेन्नई के सेंटर में भेजा जाएगा. पत्रकारवार्ता में सीएमएस डॉ राजन भटनागर, एमएस डॉ विक्रम सिंह व प्रवक्ता डॉ श्रीकेश सिंह मौजूद रहे.

Last Updated : Jul 7, 2021, 2:25 PM IST

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