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Published : May 4, 2022, 5:37 PM IST

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खूंखार अपराधियों पर नकेल कसने के लिए बनी थी UPSTF, इन्हें लगाया ठिकाने..

स्पेशल टास्क फोर्स यानी (UPSTF) का आज 24वां स्थापना दिवस है. पिछले 24 साल से यूपी एसटीएफ साहस, प्रतिबद्धता और उत्कृष्टता को जीवंत कर रही है.श्रीप्रकाश शुक्ला जैसे अपराधी के लिए गठित की गई एसटीएफ अब तक राज्य से 50 से ज्यादा गैंग का सफाया कर चुकी है.

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UPSTF

लखनऊ: स्पेशल टास्क फोर्स यानी (UPSTF) का आज 24वां स्थापना दिवस है. यह वही एजेंसी है जिसने उत्तर प्रदेश में एक से एक अपराधियों और अपराध की दुनिया के बादशाहों का सफाया किया. इसी एजेंसी ने राज्य में नशे के सौदागरों को उनकी असल जगह (जेल) पहुंचाया. संगठित अपराध करने वाले गिरोह को नेस्तनाबूत कर दिया.

पिछले 24 साल से यूपी एसटीएफ "साहस, प्रतिबद्धता और उत्कृष्टता" को जीवंत कर रही है. श्रीप्रकाश शुक्ला जैसे अपराधी के लिए गठित की गई एसटीएफ अब तक राज्य से 50 से ज्यादा गैंग का सफाया कर चुकी है. यही नही डकैत गौरी यादव को ढेर कर यूपी में दस्यु आतंक के ताबूत में आखिरी कील भी एसटीएफ ने ही ठोकी थी.

क्यों हुआ था UPSTF का गठन :90 के दशक में पूर्वांचल की मिट्टी रक्तरंजित हो रही थी. माफ़िया की गैंगवार से समूचा प्रदेश थर्रा रहा था. इन्हीं माफ़िया में एक ऐसा नौजवान उभरकर सामने आया जिसने यूपी पुलिस को एक बड़ी चुनौती देनी शुरू कर दी. उसका नाम था श्रीप्रकाश शुक्ला. एक दर्जन से अधिक ज्यादा हत्याओं को अंजाम दे चुके श्रीप्रकाश शुक्ला को राज्य के लगभग हर जिले की पुलिस पागलों की तरह ढूंढ रही थी. उसी बीच श्रीप्रकाश शुक्ला ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की सुपारी ले रखी थी. 6 करोड़ में सीएम की सुपारी लेने की खबर से राज्य की पुलिस के होश उड़ गए. लखनऊ स्थित सचिवालय में यूपी के मुख्‍यमंत्री, गृहमंत्री और डीजीपी की इस मामले में बैठक हुई.

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हर राज्य की सरकार को एक अधिकार होता है जिसके तहत वे अपने प्रदेश के लिए सुरक्षा व जांच बल का गठन कर सकतीं हैं. सरकार ने ऐसी ही स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करने का फैसला किया. चार मई 1998 को यूपी पुलिस के तत्‍कालीन एडीजी अजयराज शर्मा ने राज्य पुलिस के बेहतरीन 50 जवानों को छांटकर "स्पेशल टास्क फोर्स" (एसटीएफ) का गठन किया. एसटीएफ का पहला टास्क था श्रीप्रकाश शुक्ला को जिंदा या फिर मुर्दा पकड़ना.

5 महीने में ही पूरा किया टास्क :यूपी एसटीएफ का गठन भले ही श्रीप्रकाश शुक्ला को जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए महज 6 महीनों के लिए हुआ था लेकिन इस दौरान बड़े-बड़े अपराधियों से एसटीएफ का पाला पड़ा. एसटीएफ का पहला गुडवर्क था रामू द्विवेदी की गिरफ्तारी. इसके बाद एजेंसी की मुठभेड़ यूपी और दिल्ली बॉर्डर पर पूर्वांचल के ही एक और कुख्यात मुन्ना बजरंगी से हुई. इसमें मुन्ना का साथी सत्येंद्र गुर्जर मारा गया लेकिन नौ गोली लगने के बाद भी मुन्ना बजरंगी बच गया.

एसटीएफ ने ही पुलिस महकमे में इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस की शुरुआत की थी. महज 5 महीनों के अंदर ही एसटीएफ ने 21 सितंबर 1998 को गाजियाबाद में श्रीप्रकाश शुक्ला को एनकाउंटर में ढेर कर दिया. 6 महीनों के लिए गठित हुई STF की इस उपलब्धि के बाद से ही यह स्पेशल सेल उत्तर प्रदेश की सुरक्षा का एक अभिन्न अंग बन गया.

क्या थे एसटीएफ के लक्ष्य :स्पेशल टास्क फोर्स (STF) का गठन खास 4 मकसदों के लिए किया गया था. यूपी एसटीएफ फोर्स का पहला मकसद माफिया गैंग्स के बारे में पूरी जानकारी हासिल करना और फिर उसी इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर उन गैंग्स के ख‍िलाफ एक्शन लेना था. दूसरा मकसद था कि उस गैंग के ख‍िलाफ कार्रवाई के लिए पूरी योजना बनाकर उसे कार्यरूप कैसे दिया जाए. साथ ही आईएसआई एजेंट्स (हालांकि बाद में आईएसआई एजेंट्स की जिम्मेदारी एटीएस को दी गई) और ऑर्गनाइज्ड क्रिमिनल्स यानी माफियाओं पर श‍िकंजा कसना. स्पेशल टास्क फोर्स (STF) का तीसरा उद्देश्य जिला पुलिस के साथ समन्वय कर लिस्टेड गैंग के खि‍लाफ एक्शन लेना था. एसटीएफ का चौथा मकसद डकैतों के गिरोह खासकर अंतर डिस्ट्र‍िक्ट बदमाशों के गिरोहों पर शि‍कंजा कसके उनपर प्रभावी कार्रवाई करना था.

बदल गए मकसद :यूपी एसटीएफ के एसएसपी विशाल विक्रम सिंह बताते हैं कि एसटीएफ का गठन महज चार मकसद से किया गया था. लेकिन एसटीएफ की कार्यशैली के चलते हमारे मकसद बढ़ गए. यूपी सरकार ने हमें कई बड़ी जिम्मेदारियां सौंपी हैं. पिछले 24 सालों में एसटीएफ ने अपने आपको री-मॉडिफाइड किया है. उसका नतीजा यह है कि आज की तारीख में उत्तर प्रदेश में जितने भी एग्जाम हो रहे हैं, उससे संबंधित पेपर लीक होना, नकल माफियाओं समेत तमाम वारदातों को वर्कआउट करने का काम एसटीएफ कर रही हैं.

यूपी सरकार ने यूपी एसटीएफ को कंसलटेंट ऑफ ऑल एग्जाम नियुक्त कर दिया है. यूपी एसटीएफ अलग से साइबर यूनिट होने के बावजूद साइबर क्रिमिनल्स पर शिकंजा कस रही है. साथ ही साथ एनसीबी से भी ज्यादा एसटीएफ मादक पदार्थों और नशे के सौदागरों पर शिकंजा कसकर बड़ी रिकवरी कर रही है. वाइल्ड लाइफ में भी एसटीएफ का सहयोग रहता है. विशाल विक्रम सिंह बताते हैं कि हमारी शुरुआत 50 जवानों से हुई थी और आज 300 से ज्यादा जवान एसटीएफ की सेवा कर रहे हैं.

क्या हुए है बदलाव :लखनऊ में विभूतिखंड में एक बहु-मंजिला हेड ऑफिस के अलावा, मेरठ और वाराणसी में अपनी क्षेत्रीय इकाई के लिए एसटीएफ के अपने ऑफिस हैं. अब आगरा, गोरखपुर, प्रयागराज और बरेली में कार्यालयों के निर्माण और नोएडा में एक ट्रांजिट हॉस्टल के लिए जमीन देने की योजना बनाई गई है. उत्तर प्रदेश में एसटीएफ की नौ फील्ड यूनिट हैं. इसका और विस्तार हो रहा है. अयोध्या में एसटीएफ की नई यूनिट बनाने की तैयारी भी हो रही है.

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