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Published : Aug 28, 2019, 7:32 PM IST

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अमेजन के जंगलों जैसी आग से बचा रहा है यूपी का 'फायर अलर्ट सिस्टम'

उत्तर प्रदेश के लगभग 17,000 वर्ग किलोमीटर में फैले जंगल के चप्पे-चप्पे की निगरानी सैटेलाइट से की जा रही है. वन विभाग का फायर कंट्रोल अलर्ट सिस्टम उत्तर प्रदेश को अमेजन जैसे भयावह अग्निकांडों से बचाए हुए हैं.

यूपी का 'फायर अलर्ट सिस्टम'.

लखनऊ: ब्राजील में अमेजन के जंगल में लगी आग से जब पूरी दुनिया चिंतित है. उत्तर प्रदेश के 17,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक हिस्से में फैला जंगल पूरी तरह सुरक्षित है. साल भर में लगभग 500 से ज्यादा आग लगने के हादसे उत्तर प्रदेश के जंगलों में हुए, लेकिन वक्त रहते उन पर काबू पा लिया गया. वन विभाग का फायर कंट्रोल अलर्ट सिस्टम उत्तर प्रदेश को अमेजन जैसे भयावह अग्निकांडों से बचाए हुए हैं.

सैटेलाइट आधारित फायर अलर्ट सिस्टम इस्तेमाल कर रहा यूपी.

सैटेलाइट आधारित फायर अलर्ट सिस्टम इस्तेमाल कर रहा यूपी

वन विभाग जंगलों में लगने वाली आग से निपटने के लिए सैटेलाइट आधारित फायर अलर्ट सिस्टम इस्तेमाल कर रहा है. उत्तर प्रदेश के लगभग 17,000 वर्ग किलोमीटर में फैले जंगल के चप्पे-चप्पे की निगरानी सैटेलाइट से की जा रही है. सैटेलाइट उत्तर प्रदेश के जंगल में कहीं भी आग लगने पर इसकी सूचना हैदराबाद में स्थित नेशनल साइंस रिमोट एप्लीकेशन सेंटर को भेज देता है. यहां से सूचना फॉरेस्ट सर्वे आफ इंडिया देहरादून को दी जाती है. एसएसआई से उत्तर प्रदेश वन विभाग के सभी अधिकारियों और फील्ड स्टॉफ को एक मोबाइल मैसेज भेजा जाता है. इसमें जंगल में आग लगने की सूचना की जानकारी शामिल होती है.

न्यूनतम समय में आग पर काबू

इस मैसेज के साथ ही एक गूगल मैप भी मोबाइल से मिलता है, जिससे घटनास्थल तक पहुंचने वाले रास्तों की जानकारी भी हासिल की जा सकती है. मोबाइल फोन के सहारे घटनास्थल तक पहुंचा भी जा सकता है. इस तकनीक का फायदा वन विभाग को जमीनी स्तर पर मिल रहा है. अकेले गोरखपुर संभाग में बीते सीजन के दौरान 22 से ज्यादा आग लगने के वाकए हुए, लेकिन उन सभी पर न्यूनतम समय में काबू पा लिया गया और आग को फैलने से रोक दिया गया.

पहले जंगलों में आग लगने पर वन विभाग के उच्च अधिकारियों को जानकारी देर से मिल पाती थी. जब आग बड़ी होती थी तब निचले स्तर के कर्मचारी इसकी सूचना अधिकारियों को देते थे, लेकिन फायर अलार्म सिस्टम लागू होने के बाद अब राजधानी लखनऊ में बैठे अधिकारियों को भी मालूम होता है कि जंगल के किस हिस्से में आग लगी है और उसे कब बुझाया गया.

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