लखनऊःउत्तर प्रदेश की सियासत से ही देश की सियासत तय होती है. जिसको लेकर अब सभी पार्टियां जोड़-तोड़ और जातिगत राजनीति के समीकरण बनाने में जुट गई है. वहीं, कुछ ऐसे भी छोटे दल हैं जो राजनीतिक होने के बावजूद भी अपना वर्चस्व सियासी जमीन पर कायम नहीं कर सके हैं. लेकिन अब 2022 के उत्तर प्रदेश (UP Assembly Election 2022) के चुनाव में अपनी ताकत आजमाने और बड़ी सियासी जमातों पर दबाव बनाने के लिए मैदान में उतर आए हैं. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश में करीब 42 छोटे दलों की महागठबंधन यात्रा शुक्रवार को लखनऊ से शुरू की है. इसे विमर्श यात्रा का नाम दिया गया है. इस यात्रा की शुरुआत मुस्लिम स्कॉलर सलमान नदवी के लखनऊ स्थित आवास से की गई है. इस यात्रा के दौरान एससी-एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों को एकजुट करने की कवायद की जाएगी.
UP Assembly Election 2022: सियासी जमीन तैयार करने के लिए यूपी में शुरू हुई विमर्श यात्रा
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में लोगों को एकजुट करने के उद्देश्य से 42 राजनितिक दलों ने विमर्श यात्रा शुरू की है. मुस्लिम धर्मगुरु और स्कॉलर मौलाना सलमान नदवी की अध्यक्षता में महागठबंधन की यात्रा लखनऊ से शुरू हुई.
मुस्लिम धर्मगुरु और स्कॉलर मौलाना सलमान नदवी की अध्यक्षता में तमाम राजनीतिक पार्टियों ने लखनऊ में एक प्रेस कांफ्रेंस के बताया कि विमर्श यात्रा के दौरान एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक से जुड़े लोगों से मुलाकात करेंगे. इस दौरान लोगों से अपील करेंगे कि जनसंख्या के अनुपात में सत्ता और संपत्ति में भागीदारी की लड़ाई लड़ने के लिए एकजुट हो जाए. उन्होंने बताया कि यात्रा बरेली, बिजनौर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, अलीगढ़, एटा और फर्रुखाबाद होते हुए कन्नौज जाएगी. इस यात्रा के पहले चरण में लोगों को एकजुट करने का काम किया जाएगा. वहीं दूसरे चरण की यात्रा कानपुर से शुरू की जाएगी.
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इस्लामिक स्कॉलर मौलाना सलमान नदवी ने कहा कि इस यात्रा का मकसद तमाम छोटे-बड़े सम्प्रदाय के लोगों को एकजुट करना है और मानवता का संदेश देना है. उन्होंने कहा कि शिया-सुन्नी भाईचारे को उत्तर प्रदेश में और बढ़ाना है जिससे मुसलमानों में एकता का परचम बुलंद किया जा सके. जिससे 2022 के विधानसभा चुनाव में मुसलमान एकजुट होकर अपना वोट किसी एक ऐसी पार्टी को दें, जो मुस्लिम समाज के मुद्दों पर गौर करने का वादा करें. इस दौरान सलमान नदवी ने असदुद्दीन ओवैसी की भी हिमायत की. उन्होंने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से जो समर्थन दिया जाना चाहिए था वह नहीं दिया गया. जबकि असदुद्दीन ओवैसी पर्सनल लॉ बोर्ड के मेंबर हैं. हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पहले ही यह साफ कर चुका है कि वह किसी भी सियासी जमात को समर्थन या उसकी हिमायत में वोट देने की अपील नहीं करेगा. पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी मुसलमानों से पहले ही अपील कर चुके हैं कि वह अपना वोट अपनी समझ से और सूझबूझ से काम करने वाले साफ-सुथरी छवि के लोगों को दे.