लखनऊ : शहर की सड़कों पर बेलगाम दौड़ रहे ट्रैक्टर जानलेवा बनते जा रहे हैं. गुरुवार को जालौन में ईंट से लदे ट्रैक्टर ने एक महिला को टक्कर मार दी. मौके पर ही महिला की मौत हो गयी. इसी दिन लखनऊ के मड़ियांव इलाके में स्कूटी से जा रहे युवक को मिट्टी लदे ट्रैक्टर ने टक्कर मार दी. जिसके बाद घायल ने अस्पताल में दम तोड़ दिया. एक साल पहले सैरपुर इंस्पेक्टर की मौत भी ट्रैक्टर की टक्कर से हो गयी थी. आये दिन हो रही ऐसी दुर्घटनाओं के बावजूद पुलिस व परिवहन खेतों में चलने वाले ट्रैक्टरों को शहरों में चलने से नहीं रोक पा रहे हैं.
यूपी के हर हिस्से में कृषि के नाम पर ट्रैक्टर लेने वाले उससे ईंट, मौरंग व सरिया ढो रहे हैं. लगभग सभी ट्रैक्टर ओवरलोड होते हैं. ऐसे में रोजाना हादसे हो रहे हैं. पुलिस, प्रशासन, परिवहन विभाग के अफसर इस ओर देख ही नहीं रहे हैं. इससे ट्रैक्टर मालिक सरकार को दो तरफ से चपत लगा रहे हैं. कृषि यंत्र होने के चलते ये सरकार से सब्सिडी पाते हैं और फिर उसे व्यवसायिक कार्य कर कमाई करते हैं. लखनऊ की बात करें तो यहां महज 10 प्रतिशत ट्रैक्टर ट्राॅली ही आरटीओ में व्यवसायिक कार्य करने के लिए रजिस्टर्ड हैं, वो भी अधिकतर क्रेन यूज के लिए होते हैं.
पुलिस के सामने से गुजरते हैं अवैध ट्रैक्टर-ट्राॅली :लखनऊ के आरटीओ कार्यालय में करीब एक हजार ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन है. जिसमें 90 प्रतिशत कृषि कार्य के लिए रजिस्टर्ड हैं, लेकिन कृषि कार्य के लिए वे बहुत कम ही चलते नजर आते हैं. व्यवसायिक काम में लगे ट्रैक्टर ट्राॅलियों का न ही बीमा है न ही पॉल्युशन और न फिटनेस. यहां तक इनमें नम्बर भी नहीं लिखा होता है. इसके बावजूद ट्रैफिक पुलिस, स्थानीय पुलिस और आरटीओ कोई भी जिम्मेदार इन पर सवाल नहीं उठाता है, जबकि रोजाना ये ट्रैक्टर पुलिस थानों व चौकियों के सामने से ही गुजरते हैं. अधिकतर ट्रैक्टरों को चलाने वाले या तो नाबालिग होते हैं या फिर उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस ही नहीं होता है.
पुलिस ने कहा, आरटीओ की जिम्मेदारी :लखनऊ के कार्यवाहक डीसीपी ट्रैफिक रईस अख्तर का कहना है कि "ट्रैक्टर किस यूज के लिए चल रहे हैं यह देखना आरटीओ का काम है. उनका कहना है कि वो सिर्फ यह देखते हैं कि यातायात नियमों का उल्लंघन तो नहीं हो रहा है. वो कहते हैं कि अगर ऐसी चीजें उन्हें दिखती हैं तो कार्रवाई जरूर की जाती है."