लखनऊ. राजधानी समेत उत्तर प्रदेश की सड़कों पर हजारों की संख्या में बिना पंजीकरण के ही ट्रॉली दौड़ रही हैं. इससे परिवहन विभाग (Transport department) को लाखों की चपत लग रही है. विभागीय अधिकारियों को फिर भी कोई फिक्र नहीं है. ट्रैक्टर ट्रॉली को कृषि यंत्र के रूप में आरटीओ कार्यालय में रजिस्टर्ड कराकर मालिक टैक्स से तो छूट पा ही रहे हैं साथ ही कृषि का काम छोड़कर व्यावसायिक काम को अंजाम भी दे रहे हैं, फिर भी अधिकारियों की आंखें बंद हैं. विभाग को हो रहे नुकसान से अधिकारियों का ही कोई लेना-देना नहीं है.
हाल ही में टिकौली इलाके में ट्रैक्टर ट्राॅली से बड़ी दुर्घटना हुई, जिसमें तकरीबन 10 लोगों की जान चली गई. इसके बाद परिवहन विभाग (Transport department) ने ट्रैक्टर ट्रॉली के रजिस्ट्रेशन पर सख्ती बरतने का मन बनाया है. जहां तक लखनऊ आरटीओ कार्यालय की बात करें तो कुल मिलाकर 571 ट्रैक्टर और ट्रॉली कृषि और व्यवसायिक के रूप में दर्ज हैं. इनमें से कृषि यंत्र के रूप में 90 ट्रॉली तो व्यवसाय के इस्तेमाल के लिए 471 ट्रॉलियों का रजिस्ट्रेशन है. यानी कुल मिलाकर लखनऊ शहर में 571 ट्रॉली ही ऐसी हैं जो रजिस्टर्ड हैं और कृषि के साथ ही व्यवसाय के रूप में इस्तेमाल की जा सकती हैं, लेकिन सड़क पर उतरकर देखा जाए तो हजारों की संख्या में ऐसी ट्रॉली ट्रैक्टर के साथ शहर में दौड़ रही हैं जिनका आरटीओ कार्यालय में रजिस्ट्रेशन तक नहीं है. इन्हीं ट्रॉली से कृषि का काम भी किया जा रहा है और व्यवसाय भी हो रहा है. इतना ही नहीं ट्रैक्टर ट्रॉली से सवारियों को ढोने का कोई प्रावधान ही नहीं है, लेकिन धड़ल्ले से सवारियां भी ढोई जा रही हैं. टिकौली की घटना में यह सामने भी आ गया है. कृषि यंत्र के रूप में टैक्स से छूट पाने वाली ट्रॉली का इस्तेमाल भी हर तरह के व्यवसाय में किया जा रहा है, लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियों को इससे भी कोई मतलब नहीं है. ट्रॉली रजिस्टर्ड है भी या अनरजिस्टर्ड ही संचालित हो रही है, इसकी भी चेकिंग नहीं की जाती है. इससे विभाग को राजस्व की भी चपत लग रही है.
इतनी है रजिस्ट्रेशन फीस, विभाग बेखबर :आरटीओ कार्यालय में रजिस्ट्रेशन के दौरान कृषि यंत्र के रूप में दर्ज होने वाले वाहन को ₹600 और व्यवसायिक ट्रैक्टर ट्रॉली के लिए 1500 रुपए की फीस निर्धारित है. इसके अलावा जहां कृषि यंत्रों को टैक्स से छूट है, वहीं फिटनेस भी नहीं होती है, जबकि व्यवसायिक वाहनों की फिटनेस फीस 1500 रुपए है, लेकिन जो ट्रॉली आरटीओ कार्यालय में रजिस्टर्ड ही नहीं है उनके न तो टैक्स का सवाल पैदा हो रहा है और न ही फिटनेस फीस का. ऐसे में विभाग को ये पैसा मिल ही नहीं रहा है.