लखनऊ : बॉलीवुड और हॉलीवुड की कई हॉरर फिल्मों में आपने ममी को देखा होगा, लेकिन क्या सच में आपने किसी ममी को देखा है, अगर नहीं तो आज हम आपको दिखाएंगे. प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक मात्र राज्य संग्रहालय में मिस्र की ममी देखने को मिलेगी. राज्य संग्रहालय में 3,000 साल पुरानी ममी है. राज्य संग्रहालय के निदेशक आरके सिंह ने बताया कि ममी राज्य संग्रहालय का मुख्य आकर्षण केन्द्र बना हुआ है. रोजाना एक हजार से अधिक लोग संग्रहालय घूमने के लिए आते हैं.
वहीं असिस्टेंट डायरेक्टर शाज फातमी ने बताया कि ममी किसी मृतक के ऐसे शव को कहते हैं जिसकी खाल एवं शरीर के अंगों को रासायनिक उपचार करके सुरक्षित रखा गया हो. इस प्रकार सुरक्षित शव को यदि जमीन से खोद कर अथवा किसी सुरक्षित स्थान से निकालकर दोबारा ठंडी एवं कम नमी वाले स्थान पर रखा जाता है तो उसके क्षरण की आशंका कम होती है. मिस्र देश से लगभग एक करोड़ जीव जन्तुओं की ममी प्राप्त हुई है. जिसमें सबसे अधिक संख्या में बिल्ली की ममी है.
जानकारी देतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला उन्होंने बताया कि इस शोकेस में 13 वर्ष की लड़की की ममी रखी हुई है. यह ममी लगभग 3000 वर्ष पुरानी है. जिसे लंदन के जेई पॉटर से 1952 में राज्य संग्रहालय द्वारा क्रय किया गया है. इसकी लम्बाई लगभग 4 फिट 10 इंच (145 सेमी) मापी गयी है. ताबूत पर हीरोग्लिफ (चित्र लिपि) में ममी के विषय में लेख लिखा हुआ है. ताबूत के निचले हिस्से में अन्यूबिस (कब्र का देवता) की प्रतिकृति बनी है.
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ममी एक लकड़ी के ताबूत में सुरक्षित है. जिसके ऊपरी हिस्से पर हरे रंग के बाल वाला एक चेहरा बना है जो कि सम्भवतः मृतक का है. सिर के ऊपर एक सूर्य की प्रतिकृति भी चित्रित है. ताबूत पर बने ममी के चित्र को गहने पहने हुए दर्शाया गया है. ताबूत पर कंधे से लेकर घड़ तक दो बाजों (ओसिरिस देवता) को चित्रित किया गया है. इसके नीचे आकाश की देवी नट को अपना पंख फैलाए दर्शाया गया है. इसके ठीक नीचे तीन खाने बनाए गये हैं. जिसका रंग पीला है एवं इस पर काले रंग से चित्रलिपि में ममी के विषय में लिखा है. ममी को सुरक्षित रखने के लिए रासायनिक उपचार के साथ लिनेन कपड़े में लपेट कर रखा गया है.
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