लखनऊ : यूपी में सीएए-एनआरसी हो या फिर नुपुर शर्मा के बयान व अग्निपथ योजना के खिलाफ हुई हिंसा, पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया को हथियार बनाकर राज्य में माहौल खराब किया गया. इसी को देखते हुए डीजीपी मुख्यालय ने 20 संवेदनशील जिलों में डिजिटल फोर्स तैयार की है. ये फोर्स जिलों में रहकर सोशल मीडिया प्लेटफॉम पर नजर रखेगी. साथ ही ऐसे लोगों को चिन्हित करेगी जो सोशल मीडिया का सहारा लेकर हिंसा भड़काने की योजना बनाते हैं.
एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि पुलिस मुख्यालय में मौजूद सोशल मीडिया सेल में डिजिटल टीम फेक न्यूज़, अफवाहों व फेक वीडियो पर नजर बनाए रहती है और उनका फैक्ट चेककर आमजनों को सच्चाई बताई जाती है, लेकिन बीते दिनों जिस तरह यह सामने आया है कि कुछ खास मुद्दों को लेकर एक धड़ा प्रदेश का माहौल खराब करने की कोशिश कर रहा है. इसमें सबसे बड़ा हथियार सोशल मीडिया को बनाया है. इसी के मद्देनजर एक डिजिटल फोर्स तैयार की गई है जो डिजिटल बीट के तौर पर कार्य करेगी.
प्रशांत कुमार ने बताया कि डिजिटल फोर्स में एक साइबर एक्सपर्ट को शामिल किया गया है. जो जिले में रहकर वहां की सोशल मीडिया टीम के सहयोग से काम करेगी. ये एक्सपर्ट उन जिलों में चल रहे व्हाट्सएप एकाउंट, फेसबुक, ट्विटर व इंस्ट्राग्राम में मौजूद ऐसे ग्रुप का रिसर्च करेंगे जो हाल ही में बनाये गए हैं. हिंसा भड़काने के लिए कुछ खास व्हाट्सअप ग्रुप बनाये गए थे, जिनका लिंक लोगों को शेयर कर जोड़ा गया था. इन्हीं ग्रुप व उनके सदस्यों के बारे में सूचनाएं इकट्ठा की जाएंगी.
जिले में तैनात डिजिटल फोर्स की मॉनिटरिंग लखनऊ स्थित पुलिस मुख्यालय से की जाएगी. साइबर एक्सपर्ट सोशल मीडिया पर लोगों को भड़काने वाली पोस्ट करने वालों की पहचान करेंगे. जिसकी सूचना डिजिटल बीट प्रभारी लोकल इंटीलेजेंस को देंगे. इंटीलेजेंस पहचान किये गए व्यक्ति की भौतिक जानकारी जुटाएगा. जिसमें उस व्यक्ति के परिवार, दोस्तों व उसके सभी कॉन्टैक्ट को खंगाला जायेगा. यदि व्यक्ति संदिग्ध लगेगा तो स्थानीय थाने को रिपोर्ट दी जाएगी. जिसके बाद संदिग्ध को पुलिस के हवाले कर दिया जाएगा.