लखनऊ : राजधानी के सेंटीनियल स्कूल विवाद में अब प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर सवाल उठने लगे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को ट्वीट करके सरकार को घेरा.
अखिलेश यादव ने लिखा "लखनऊ में सरकारी स्कूल पर हुए प्राइवेट स्कूल वाले के कब्जे का ये सरकार कुछ करेगी या गुरुजन सड़कों पर ही गुरुकुल चलाने पर बाध्य होंगे. कहां हैं विश्व गुरु का दावा करने वाले?
उधर, दिनभर चले विवाद के बाद शिक्षा विभाग ने अपनी गलती स्वीकार की. साथ ही शुक्रवार से स्कूल परिसर में कक्षाएं संचालित किए जाने के आदेश दिए. बता दें, सेंटीनियल इंटर कॉलेज लखनऊ का 139 साल पुराना स्कूल है. यह एक सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालय है. इस ऐतिहासिक स्कूल को बंद करके उसके स्थान पर एक निजी स्कूल खोल दिया गया. जिसके चलते स्कूल में पढ़ने वाले करीब 500 बच्चे सड़क पर आ गए. गर्मी की छुट्टी के बाद जब यह बच्चे अपने स्कूल में क्लास करने पहुंचे तो इन्हें परिसर में प्रवेश नहीं दिया गया.
शिक्षकों का कहना है कि उनका सारा सामान स्कूल परिसर से निकाल कर बाहर फेंक दिया गया. उनकी तरफ से विभाग के उच्च अधिकारियों को सूचना दी गई. एक से 6 जुलाई तक स्कूल बंद चल रहा था. विभाग के स्तर पर अभी तक कोई कार्रवाई ना किए जाने के चलते गुरुवार को शिक्षकों की तरफ से सड़क पर क्लास चलाई गई. इसकी फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ. जिसके बाद विपक्ष सक्रिय हो गया. सरकार के अधिकारियों की भी नींद टूटी.
यह आदेश किए गए जारी :जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, नगर मजिस्ट्रेट लखनऊ, एसीपी कैसरबाग, थाना प्रभारी कोतवाली कैसरबाग द्वारा विद्यालय में उपस्थित होकर जांच की गई. इसमें यह प्रकरण संज्ञान में आया कि विद्यालय को कक्षा एक से 5 एवं कक्षा 6 से 8 तक की मान्यता मेथोडिस्ट चर्च स्कूल, गोलागंज, लखनऊ के नाम से बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा प्रदान की गयी है, जो प्रथम दृष्टया वैधानिक प्रतीत नहीं हो रही है. जबकि पूर्व से संचालित सहायता प्राप्त विद्यालय के भवन व परिसर में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता प्रदान नहीं की जा सकती.