लखनऊ : हजरतगंज बालू अड्डा निवासी नंदनी श्रीवास्तव (38) हजरतगंज से डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल पहुंची. बीते चार-पांच दिन से उन्हें उल्टी, दस्त और बुखार आ रहा था. जिस पर डॉक्टर ने उन्हें कोरोना जांच की सलाह दी. जांच में रिपोर्ट नेगेटिव निकली. जिसके बाद डॉक्टर ने नंदनी को कुछ दवाइयां लिखीं. नंदिनी ने बताया कि चार दवाइयों में से दो हमें बाहर से लेनी पड़ीं और दो अस्पताल से मिलीं. दोनों दवाइयाें का पत्ता 213 रुपये का मिला है.
वहीं एक और मरीज घनश्याम तिवारी (42) ने दंत विभाग में डॉक्टर को दिखाया. इसके बाद डॉक्टर ने कुछ दवाएं लिखीं. सिर्फ एक अस्पताल में मिली बाकी तीन दवाएं हमें बाहर से लेनी पड़ीं. जिसकी कीमत 400 रुपये है. बता दें बलरामपुर अस्पताल में दवाओं की किल्लत दूर करने के लिए यूपी मेडिकल सप्लाइज काॅरपोरेशन को दवा आपूर्ति के लिए पत्र लिखा. साथ ही अस्पताल प्रशासन ने काॅरपोरेशन के अफसरों से भेंट भी की थी.
सिविल अस्पताल के निदेशक डॉ. आनंद ओझा ने बताया कि अस्पताल में यूपी ड्रग काॅरपोरेशन या फिर यूपी मेडिकल सप्लाइज काॅरपोरेशन से दवाएं ली जाती हैं. अस्पताल की ओर से इनकी ऑनलाइन साइट पर हम दवाओं के लिए आवेदन करते हैं. दवाई की कमी होने की मुख्य वजह है कि जितनी हमारे अस्पताल की डिमांड होती है, उसका सिर्फ 40 प्रतिशत ही उपलब्ध कराई जाती है. यही कारण है कि हमें बार-बार इनकी साइट पर जाकर दवाइयों के लिए अप्लाई करना पड़ता है. हमारे पास अगर दवा होगी तो हम मरीज को देंगे, लेकिन जब हमारे पास दवा ही नहीं होगी है तो हमें मजबूरी में बाहर की लिखनी पड़ती है. हालांकि ज्यादातर दवाएं मरीज को अस्पताल से उपलब्ध हो जाती हैं. उन्होंने कहा कि यूपी मेडिकल सप्लाइज काॅरपोरेशन को अस्पताल में आने वाले मरीजों के हिसाब से दवाई आवंटित करनी चाहिये.