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तीन दिन तक मां की लाश के साथ रही मासूम, खाकी का घेरा देख सहम गई - बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग

राजधानी लखनऊ के पीजीआई इलाके में दिल दहला देने वाली घटना सामने आई. पहले 16 साल के बेटे ने मां की गोली मारकर हत्या कर दी फिर तीन दिन तक 10 साल की मासूम बहन के साथ लाश के पास रहा.

पीजीआई पुलिस
पीजीआई पुलिस

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Published : Jun 8, 2022, 7:43 PM IST

लखनऊ: राजधानी में बेटे द्वारा मां की हत्या मामले में पुलिसिया कार्रवाई से 10 वर्षीय मासूम को और खौफजदा कर दिया है. दरअसल 10 साल की बच्ची के सामने मां का कत्ल हुआ था. बच्ची तीन दिन तक अपनी मां की लाश के साथ रही थी. मंगलवार की रात पुलिस ने उसके कातिल भाई को पकड़ा तो चश्मदीद के तौर पर मासूम को पुलिस गाड़ी में लेकर घूमती रही. मासूम की आंखों में एक तरफ मां के कत्ल की तस्वीर घूम रही थी तो दूसरी तरफ खाकीधारी कुत्ता खुलवाने के लिये उसे वापस घर लेकर गये. पुलिस के इस कृत्य की जानकारी होते ही बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मामले को तत्काल संज्ञान में लिया. आयोग ने डीजीपी को पत्र लिखकर इन सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एक्शन लेने को कहा है.

दरअसल, पीजीआई इलाके में हैरान करने वाली घटना सामने आई थी. जहां 16 साल के बेटे ने पबजी खेलने से मना करने पर अपनी मां की गोली मारकर हत्या कर दी और लाश के साथ 3 दिन तक घर में रहा. इतना ही नहीं उसने अपनी 10 साल की छोटी बहन को भी मां की लाश के साथ रहने के लिए मजबूर किया. इसी बीच मंगलवार की रात को हत्या की सूचना पर मौके पर पहुंची पीजीआई पुलिस आरोपी बेटे और बेटी को अपने संरक्षण में लेकर थाने ले आई. इसके कुछ देर बाद पुलिस बेटी को जीप में बैठाकर वापस घर ले आई.


कुत्ते को बाहर करने के लिए लाई थी घर : एक महिला दरोगा, 2 पुरुष दरोगा व 3 सिपाही रात को बेटी को उसके घर वापस लाते हैं. सभी पुलिसकर्मी वर्दी में थे व सभी के पास हथियार थे. पुलिस बच्ची को उसके घर पालतू कुत्ते की चेन खोलने के लिए लाई थी. इस दौरान बच्ची डरी व सहमी दिख रही थी.

बाल आयोग ने जताई नाराजगी :बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी ने कहा कि पुलिस का ये कृत्य किशोर न्याय अधिनियम का खुला उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि पुलिस इतनी संवेदनहीन कैसे हो सकती है, जो उस मासूम को वर्दी और हथियार के साथ पुलिस जीप में बैठा कर उसी घर दोबारा ले जाये जहां उसने 3 दिन तक मां की सड़ी हुई लाश के साथ गुजारे थे. उन्होंने कहा कि कई बार डीजीपी से मिलकर पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग करवाने के लिए कहा गया है.

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सुचिता ने बताया कि पुलिस को बाल आयोग, सीडब्ल्यूसी या फिर किसी एनजीओ के सदस्य को भी साथ में लेना चाहिए था. यदि यह सम्भव नहीं था तो सादी वर्दी में बिना हथियार लिए मासूम को प्राइवेट गाड़ी में ले जाना चाहिए था. उनके मुताबिक, इन सब बातों का ध्यान न रखते हुए पुलिस का मासूम को घर में ले जाना भी संवेदनहीनता है.

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