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वन विभाग खुद मान रहा पिछले 5 साल में 30 करोड़ पौधे बर्बाद, जानिये पौधरोपण की क्या है सच्चाई

उत्तर प्रदेश में इस बार 35 करोड़ पौधे रोपे पर जा रहे हैं. 4 जुलाई को सरकार की ओर से 25 करोड़ पौधे रोपने का दावा किया गया था. 15 जुलाई तक बचे हुए 10 करोड़ पौधे भी रोप दिए जाएंगे.

कुकरैल वन क्षेत्र
कुकरैल वन क्षेत्र

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Published : Jul 11, 2022, 9:35 PM IST

Updated : Jul 11, 2022, 11:26 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में पिछले पांच साल में लगे 100 करोड़ के पौधों की हरियाली बमुश्किल ही नजर आती है. खुद वन विभाग भी इस बात को मान रहा है कि 100 करोड़ में से 30 करोड़ पौधे बर्बाद हो चुके हैं. जानकारों को इस बात का विश्वास है कि इनमें से अधिकांश पौधे पनप ही नहीं पाए. कुकरैल वन क्षेत्र में भी वन विभाग के आला अधिकारियों ने पौधरोपण किया था. वहां भी पौधे बर्बाद होते नजर आ रहे हैं. वन विभाग का दावा है कि जियो टैगिंग और संरक्षण के दम पर 90 प्रतिशत तक पौधों को वह बचा लेंगे और अगले 5 साल में उत्तर प्रदेश में हर ओर हरियाली नजर आएगी.

100 करोड़ के पौधे लगाने का दावा :उत्तर प्रदेश में इस बार 35 करोड़ पौधे रोपे पर जा रहे हैं. 4 जुलाई को सरकार की ओर से 25 करोड़ पौधे रोपने का दावा किया गया था. 15 जुलाई तक बचे हुए 10 करोड़ पौधे भी रोप दिए जाएंगे. इसी तरह पिछले पांच सालों में लगातार हर साल रिकॉर्ड ब्रेक किया गया और लगभग 100 करोड़ के पौधों को लगाने का दावा सरकार ने उत्तर प्रदेश में किया है.

जानकारी देते संवाददाता ऋषि मिश्र



यहां दिखी अभियान की सच्चाई :ईटीवी भारत की टीम कुकरैल वन क्षेत्र में पहुंची. इस वन क्षेत्र में 4 जुलाई को वन विभाग के आला अधिकारियों ने पौधरोपण किया था. टीम के पहुंचने पर सच्चाई कुछ और ही दिखी. अनेक ताजा लगे हुए पौधे सूखते हुए नजर आए. इसके अलावा बिना लगे पौधों को बेदर्दी से जमीन पर फेंका गया है. जिसकी वजह से वह भी सूख रहे हैं. जियो टैगिंग नाम की चीज यहां दिखाई नहीं दे रही है. यह बात भी सच है कि यहां अनेक पौधे पनपते हुए नजर आये, लेकिन देख रेख का अभाव साफ दिखाई दे रहा था. कुकरैल वन क्षेत्र से बाहर निकलकर टीम रिंग रोड पर आगे बढ़ी. यहां पर पाया गया कि करीब 20 साल में पौधे से पेड़ बने पौने दो सौ पेड़ों को काटकर केवल जमीन पर जड़ें छोड़ दी गई हैं. पौधरोपण अभियान के पीछे का एक सच जो कि पूरे उत्तर प्रदेश में नजर आ रहा है कि हाईवे और एक्सप्रेस-वे के निर्माण के दौरान लाखों पेड़ काटे गए हैं. जिनको वापस पाने में कम से कम 15 से 20 साल का समय लगेगा.

इसका समाधान जरूरी : पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रहे पेड़ वाले बाबा के नाम से मशहूर चंद्रभूषण तिवारी ने इस बारे में बताया कि पौधों को केवल रोपित कर देने से काम नहीं चलेगा. उनका संरक्षण और सिंचाई बहुत जरूरी है. जिसकी कमी नजर आती है. वन विभाग और सरकारी महकमों के साथ-साथ आम लोगों को भी इस दिशा में आगे कदम बढ़ाना चाहिए.


प्रधान मुख्य वन संरक्षक ममता संजीव दुबे ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि हमारे लगाये हुए पौधे सड़कों पर दिख रहे हैं. नये विकास के कामों में पेड़ कट भी रहे हैं. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में यह सामने आया है कि भारत मे वन क्षेत्र बढ़ गया है. पौधे एक जीवित वस्तु होती है. इसलिए उनकी मृत्यु भी होती है. फिर भी हम 90 प्रतिशत सफलता की कोशिश करते हैं. हमने इसकी थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग 2019 में करवाई थी.


थर्ड पार्टी की रिपोर्ट के मुताबिक, वन विभाग के पौधों में 90 प्रतिशत बचे हैं. अन्य विभागों के पौधे 80 प्रतिशत बचे हैं. यह एक सतत चक्र है. जितना भी पौधरोपण वन विभाग कर रहा है हम उसकी जियो टैगिंग करवा रहे हैं. उसको हम साइट पर अपलोड करते हैं. अन्य विभागों को भी जियो टैगिंग करने के लिए कहा जा रहा है. उनकी मदद के लिए हमने हरीतिमा ऐप को शुरू किया. सभी विभाग इस बात को लेकर बहुत गंभीर हैं.

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उन्होंने कहा कि स्पष्ट हरियाली वाला माहौल हमको 5 साल बाद दिखाई देगा और जो पेड़ कट रहे हैं. उनकी जगह पर लगे पौधों के बड़ा होने में 10 साल का समय लगेगा. हमारी खुद की नर्सरी से ही 95 फ़ीसदी पौधे प्राप्त होते हैं. कुछ पौधे हमको प्राइवेट नर्सरी से भी मिलते हैं. इस बार गर्मी बहुत है इस बार चिंता बहुत ज्यादा है. बारिश हो नहीं रही है हम लगातार सिंचाई की व्यवस्था कर रहे.

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Last Updated : Jul 11, 2022, 11:26 PM IST

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