लखनऊ: राजधानी के एक निजी अस्पताल पर गंभीर आरोप लगे हैं. परिजनों का कहना है कि पैसे खत्म होने पर डॉक्टरों ने मरीज का इलाज रोक दिया. जिससे मरीज की मौत हो गई. आरटीई एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने मामले की शिकायत डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से की है.
प्रतापगढ़ के साहबगंज ग्राम देवली निवासी दीपक शुक्ला (28) को पेट में दर्द व उल्टियां होने की समस्या हुई थी. स्थानीय अस्पताल ने लखनऊ रेफर कर दिया. करीब तीन महीने पहले परिवार वालों आईटी चौराहे के निकट निजी अस्पताल में मरीज को ले गए थे. जहां डॉक्टरों ने जांच की. जिसके बाद गाल ब्लेडर में पथरी की पुष्टि हुई. इसके बाद डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी. वहीं परिजनों ने पहले दवाओं से इलाज करने के लिए कहा. इस दौरान दीपक की तबीयत बिगड़ती चली गई. 21 मई को परिजन दोबारा मरीज को लेकर अस्पताल पहुंचे. मरीज को भर्ती कराया.
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पत्नी विभा शुक्ला ने बताया कि इलाज से फायदे के बजाए पति की हालत बिगड़ने लगी. मरीज आईसीयू में पहुंच गया. पहली जून को मरीज को वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया गया था. विभा ने बताया कि रोजाना 25 हजार रुपये खर्च हो रहे थे. तीन जून को फीस जमा करने में देरी हुई तो डॉक्टर व कर्मचारियों ने बिना पैसे जमा किए इलाज रोकने की बात कही. भाई सुरेश शुक्ला का आरोप है कि सारे पैसे हम लोगों ने समय पर जमा किये. पैसे के अभाव में मरीज का इलाज रोक दिया गया. जिससे चार जून को मरीज की मौत हो गई. जिसके बाद छह जून को परिवार वालों ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक से शिकायत की है. साथ ही अमिताभ ठाकुर व डॉ. नूतन ठाकुर ने भी घटना को अमानवीय बताया है. वहीं परिजनों ने मामले की जांचकर जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग की है.
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