लखनऊ/बुलंदशहर: पिछले चार-पांच दिनों से यूक्रेन में रूस द्वारा किए गए आक्रमण के बाद वहां मौजूद भारतीय छात्र खुद को फंसा हुआ पा रहे थे. किसी तरह भारत पहुंचने के लिए फेसबुक, ट्विटर और सोशल अकाउंट के माध्यम से अपील कर रहे थे.
इस बीच भारत सरकार लगातार यूक्रेन में फंसे छात्रों को भारत वापस लाने का प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में यूक्रेन से लगभग 6 विमानों से सैकड़ों छात्रों को भारत लाया गया है. मंगलवार को 6 छात्र शाम 6 बजे राजधानी लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पहुंचे.
यूक्रेन से बुलंदशहर पहुंची खुशी ने सुनायी युद्ध की दास्तां
यूक्रेन के टर्नओपिल शहर से जिले की खुशी स्वदेश लौट आईं. एमबीबीएस द्वितीय वर्ष की छात्रा खुशी अपने घर पहुंच गईं हैं. उनकी सकुशल वापसी पर स्वजन और ग्रामीणों ने खुशी मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया. खुशी भारतीय दूतावास के अफसरों की सराहना करते हुए भारत सरकार को धन्यवाद देती हैं. यूक्रेन से बुलंदशहर पहुंचीं खुशी ने युद्ध की दास्तां सुनायी.
बताया कि 24 फरवरी की रात को यूनिवर्सिटी से मेल पर रूस के हमले का संदेश आया और सायरन बजने पर इमारत से बाहर जाने का निर्देश जारी किया गया. उन्होंने और उनके साथियों ने मेल मिलने के बाद सामान पैक कर लिया था. 24 फरवरी की रात एक बजे सायरन बजा तो वे सभी अपार्टमेंट से बाहर आ गए. उन्हें तीन घंटे तक ठंड में बाहर ही खड़े रहना पड़ा.
चार बजे अपने कमरों में चले गए. उनके साथियों ने प्राइवेट ट्रेवल एजेंसी से बस हायर की और 26 फरवरी को बस से रोमानिया बार्डर के लिए रवाना हो गए. रविवार को रोमानिया बार्डर पहुंच गए. रोमानिया बार्डर पर भारतीय दूतावास के अफसरों ने सभी को भोजन कराया. इसके बाद बस रोमानियां के बाचोरेस्ट हेनरी कोइंडा इंटरनेशनल एयर पोर्ट के लिए भिजवाया. एयरपोर्ट से सोमवार रात नौ बजे दिल्ली के लिए फ्लाइट रवाना हुई. सोमवार सुबह सात बजे फ्लाइट दिल्ली एयरपोर्ट पहुंच गई. वहां से अपने भाई के साथ वब घर पहुंचीं.
यूक्रेन से लौटे स्टूडेंट बोले- 'जान तो बच गई लेकिन पढ़ाई पर लटकी है युद्ध की तलवार'
शामली में यूक्रेन से सुरक्षित लौटे भाई-बहन को देखकर परिजन भारी राहत महसूस कर रहे हैं. हालांकि युद्ध का खौफ और भविष्य की चिंता अभी भी दोनों भाई-बहनों को परेशान कर रही है. एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही मानवी ने बताया कि उनकी जान तो बच गई है, लेकिन पढ़ाई पर अभी भी युद्ध की तलवार लटकी हुई है. रशिया और यूक्रेन की लड़ाई में डाक्टर बनने के उनके सपने चकनाचूर हो सकते हैं. कई भारतीय छात्र यूक्रेन में अभी भी फंसे हुए हैं जिन्हें फौरन युद्ध के हालातों से बाहर निकालने की जरूरत है.
दरअसल, शामली के व्यापारी प्रभात भार्गव का बेटा अंश और बेटी मानवी यूक्रेन के इवानो फ्रांकिस्क स्थित नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद इन दोनों भाई-बहनों समेत भारत के हजारों बच्चों के भविष्य पर संकट मंडराने लगा.