लखनऊ:फ्रांस में पैगम्बर मोहम्मद साहब का कार्टून बनाये जाने और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के विवादास्पद बयान के बाद दुनिया भर में मुसलमानों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है. फ्रांस में एक के बाद एक चाकूबाजी की वारदात कर कई बेगुनाह लोगों की जान ले ली गई. कई देशों में फ्रांस के उत्पादों के बहिष्कार और उसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिल रहे है. इस बीच जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने बयान जारी कर ऐसी घटनाओं पर चिंता व्यक्त की है.
भारत हो या फ्रांस अवाम का कानून हाथ में लेना चिंताजनक: मौलाना अरशद मदनी - Maulana Arshad Madni statement on incident of France
पैगम्बर मोहम्मद साहब का कार्टून बनाये जाने के बाद फ्रांस समेत दुनिया भर में हो रही घटनाओं पर जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने चिंता व्यक्त की है. उन्होंने लिखित बयान जारी कर कहा है कि, कानून को अपने हाथ में लेना, अशांति फैलाना, हत्या या हिंसा करना इस्लाम का सही चरित्र प्रस्तुत नहीं करता है.
'कानून अपने हाथ में लेना इस्लाम का सही चरित्र नहीं'
जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने लिखित बयान जारी कर फ्रांस के साथ दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में घट रही वारदातों पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आप इस काले कानून या टीचर या किसी कंपनी के घृणास्पद सिद्धांतों का विरोध न करें, लेकिन मेरे विचार में कानून को अपने हाथ में लेना, अशांति फैलाना, हत्या या हिंसा करना इस्लाम का सही चरित्र प्रस्तुत नहीं करता है.
'कानून अपने हाथ में लेना सही नहीं'
उन्होंने कहा कि मैं इस बात को इसलिए कह रहा हूं कि हम अपने देश में पचासों वर्षों से इसी प्रकार की राजनीति के शिकार हैं. हमारे देश में हिंदू भाई गाय की पूजा करते हैं. अब मुसलमान के गाय काटने के कारण या केवल बहाना बनाकर कानून को अपने हाथ में लिए जाने की घटना होती है और मुसलमान का खून कर दिया जाता है. जब हम यहां लोगों के कानून अपने हाथ में लेने का विरोध करते हैं तो फ्रांस में इसका विरोध क्यों नहीं करेंगे.
'भारत सरकार को फ्रांस के प्रति अपने रुख से पीछे हटना चाहिए'
इसके साथ ही मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मेरा ख्याल है कि अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन के नतीजे में आज जब फ्रांस के राष्ट्रपति भी यूटर्न ले रहे हैं, तो भारत सरकार और सत्ता में मौजूद लोगों को भी अपने देश की आबादी और स्थिति को देखते हुए फ्रांस के प्रति अपने रुख से पीछे हटना चाहिए. उन्हें अरबों मुसलमानों के उत्पीड़न से दूर हो जाना चाहिए.