लखनऊ:प्रदेश सरकार ने शिक्षण सत्र 2020-21 के लिए निजी स्कूलों को शुल्क वृद्धि न करने का आदेश दिया है. जिन विद्यालयों ने शुरुआती तीन महीनों में बढ़ा हुआ शुल्क वसूला है, उन्हें भी अगले महीनों में इसे समायोजित करना होगा. उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा है कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से उत्पन्न स्थितियों में शुल्क बढ़ाया जाना किसी भी तरह से उचित नहीं होगा.
प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा जारी किया गया पत्र. डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा के निर्देश पर माध्यमिक शिक्षा विभाग में निजी स्कूलों के विद्यार्थियों और अभिभावकों के हित में फैसला लिया है. उन्होंने कहा है कि लॉकडाउन के कारण कुछ छात्र-छात्राओं के अभिभावकों के रोजगार भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुए हैं. ऐसे में अभिभावकों को बढ़ा हुआ शिक्षण शुल्क जमा करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. निजी शिक्षण संस्थानों को भी फीस वृद्धि नहीं करनी चाहिए. इसे भी पढ़ें-अर्थव्यवस्था को महत्व देते हुए कोरोना के खिलाफ लड़ाई जारी रखनी होगी : पीएम मोदी
इस सिलसिले में प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला की ओर से सोमवार को आदेश भी जारी कर दिया गया. आराधना शुक्ला ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा और सभी जिलाधिकारियों को भेजे गए पत्र में कहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के दृष्टिगत लॉकडाउन के कारण उत्पन्न आपात परिस्थितियों के लिस्ट प्रदेश में संचालित समस्त बोर्ड बेसिक शिक्षा परिषद, सीबीएसई, आईसीएसई, आईबी, आईजीसीएसई के द्वारा नए शैक्षणिक सत्र में कोई शुल्क वृद्धि नहीं की जाएगी.
सभी विद्यार्थियों से पिछले सत्र के अनुसार ही फीस ली जाएगी. अगर किसी से अग्रिम 3 माह का शुल्क बढ़ी हुई दर पर लिया गया है तो उसे आगामी महीनों में समायोजित किया जाएगा.