लखनऊःयूपी डीजीपी कार्यालय (UP DGP Office) से मोहर्रम (Muharram) के संबंध में जारी हुआ गोपनीय सर्कुलर (Confidential Circular) रविवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. डीजीपी कार्यालय से सभी जनपदों के कप्तानों और पुलिस कमिश्नरों को मोर्रम के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था और संवेनशील माहौल में बरतने वाली सावधानियों के बारे में हिदायत जारी की गई है. सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले इस सर्कुलर में इस्तेमाल होने वाली भाषा पर शिया धर्मगुरुओं ने आपत्ति जताई है और मोहर्रम से पहले होने वाली पीस कमेटी मीटिंग (Peace Committee Meating) का बहिष्कार करने का ऐलान किया है.
मोहर्रम सर्कुलर पर शिया धर्मगुरुओं ने जताई आपत्ति. बता दें कि मोहर्रम से पहले डीजीपी की ओर से प्रदेश के सभी जनपदों के कप्तानों और पुलिस कमिश्नरों को आदेश जारी किए गए है. आदेश में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में मोहर्रम के दौरान ताजिया और जुलूस की अनुमति नहीं होगी. कोविड-19 की गाइडलाइन्स का पालन करते हुए सादगी और शांति से मोहर्रम मनाया जाएगाय मोहर्रम के दौरान किसी भी तरह के शस्त्र/हथियार का प्रदर्शन नहीं किया जाए. इसी के साथ यूपी पुलिस को असामाजिक तत्वों के विरुद्ध निरोधात्मक कार्रवाई करने और सोशल मीडिया पर सतर्क दृष्टि रखने के निर्देश दिए गए हैं.
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डीजीपी कार्यालय से जारी हुए गोपनीय सर्कुलर के वायरल होते ही बवाल खड़ा हो गया है. शिया धर्मगुरुओं ने सर्कुलर में इस्तेमाल हुई भाषा और शिया संप्रदाय को निशाना बनाने का आरोप लगाया है. मरकजी चांद कमेटी के अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास ने कहा कि इस सर्कुलर में चालीस वर्ष पुराने गड़े मुर्दे उखाड़े गए हैं. उन्होंने कहा कि इस ड्राफ्ट को बनाने वाले खुद चाहते है कि प्रदेश की अमन शांति खराब की जाए. मौलाना सैफ अब्बास ने कहा कि इस पत्र को वापस लिया जाए नहीं तो मोहर्रम से पहले होने वली सभी पीस मीटिंग का शिया समाज बहिष्कार करेगा. वहीं, शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि यह शोक का त्योहार है कोई भांग पीकर नाचने वालों का नहीं. मौलाना ने कहा कि यह यूपी के डीजीपी नहीं बल्कि आतंकी अबू बक्र अल बगदादी ने बयान दिया है.
बता दें कि इस साल मोहर्रम 10 अगस्त से शुरू होकर 19 अगस्त को समाप्त होगा. मातम का यह पर्व मुस्लिमों के दोनों समुदायों (शिया-सुन्नी) द्वारा मनाया जाता है. इसकी वजह से आपसी विवाद की आशंका बनी रहती है. 7वीं, 8वीं, 9वीं और 10वीं मोहर्रम को इमाम चौक पर ताजिये रखे जाते हैं. अलम के जुलूस निकालकर मातम किया जाता है.