लखनऊ: हुसैनाबाद हेरिटेज जोन में अखिलेश यादव की सरकार के दौरान 189 करोड़ रुपये खर्च किये गये थे. बड़े इमामबाड़े से लेकर छोटे इमामबाड़े जैसी ऐतिहासिक इमारतें लोगों के दिलों में बसती हैं. करोड़ों खर्च के बाद भी हर ओर बदहाली के छेद नजर आ रहे हैं. शाही तालाब व पार्कों में गंदगी है. अवैध कब्जे हैं. रखरखाव की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.
लखनऊ विकास प्राधिकरण ने शासन के आदेश पर हुसैनाबाद हेरिटेज जोन को संवारा था. मगर अब न हुसैनाबाद ट्रस्ट और न ही नगर निगम इस हेरिटेज जोन को हैंडओवर ले रहे हैं. लखनऊ विकास प्राधिकरण का कहना है कि मंडलायुक्त के स्तर पर अनुरोध किया जा रहा है कि हेरिटेज जोन के संरक्षण के लिए इसका हैंडओवर करवाया जाए.
जानकारी देते संवाददाता ऋषि मिश्र उत्तर प्रदेश में जब अखिलेश यादव की सरकार थी तब हेरिटेज जोन को पर्यटकों के लिए विशेष बनाने के लिये लखनऊ विकास प्राधिकरण को जिम्मेदारी दी गई थी. पहले यह काम कम बजट में हो रहा था, लेकिन इसको डिजाइन करने वाले आर्किटेक्ट ने बाद में बजट बढ़ा दिया. कुल 189 करोड़ रुपये इस प्रोजेक्ट पर खर्च हुए थे. जिसमें बड़े इमामबाड़े से लेकर छोटे इमामबाड़े तक स्टोन रोड का निर्माण किया गया. इस रोड को यहां खूबसूरती के लिए बनाया गया था. उद्देश्य था कि इस सड़क पर मोटर वाहन नहीं चलेंगे. केवल इक्का तांगा और बैटरी रिक्शा ही दौड़ेंगे, लेकिन यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी.
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इसके अलावा हेरिटेज जोन को विकसित करने के लिए पिक्चर गैलरी, शाही तालाब, घंटाघर पार्क, सतखंडा, छोटा इमामबाड़े में भी काम करवाए गए थे. यहां सजावट के लिए पार्क में रेलिंग नहीं लगाई गई थी. लखनऊ विकास प्राधिकरण ने इस काम को 2017 तक समाप्त कर दिया था. मगर इसका हैंडओवर आज तक हुसैनाबाद ट्रस्ट ने नहीं लिया. घंटाघर पार्क एनआरसी आंदोलन के दौरान राजनीति का केंद्र बन गया था. इसके बाद में यहां पीएसी के टेंट लगा दिया गया. पार्क में अवैध कब्जा करके दुकाने बनाई गई हैं. लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने इस बारे में बताया कि बहुत जल्द मंडल स्तर पर अनुरोध करके कोई न कोई मेंटेनेंस प्लान बनाया जाएगा.
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