लखनऊ: सोशल मीडिया पर रोडवेज के ड्राइवर- कंडक्टरों ने रोडवेज को लूटने की ऐसी व्यवस्था कर डाली कि उनकी कारस्तानी से अधिकारियों के ही होश फाख्ता हो गए. 'दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे' और 'लल्लनटॉप' जैसे व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर रोडवेज कोचालक-परिचालकों ने राजस्व का जमकर चूना लगा दिया. प्रदेश के कई रीजनों में हर रूट पर चेकिंग दस्ते की पल-पल की खबर इस ग्रुप पर अपडेट कर रोडवेजकर्मियों ने रोडवेज को ही अच्छी खासी चपत लगा दी.
मजे की बात यह है कि ऐसे कर्मचारियों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई भी नहीं की गई, उल्टा जिस अधिकारी ने चेकिंग के दौरान ऐसे ग्रुपों का पर्दाफाश किया उसे पुरस्कार देने के बजाय दो माह में ही यूपीएसआरटीसी के अफसरों ने ट्रांसफर की सजा दे दी. अपनी ईमानदारी पर अब उस अधिकारी को ही पछतावा हो रहा है. इससे चालक-परिचालक और सीनियर अधिकारियों का गठजोड़ कितना मजबूत है ये भी साफ तौर पर पता चल रहा है. रोडवेज लुटे तो लुटे, अपनी जेब भरे के कॉन्सेप्ट पर भ्रष्टाचार को खूब बढ़ावा दिया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में बसों की चेकिंग के लिए प्रवर्तन दस्ते तैनात किए जाते हैं. यातायात अधीक्षक और यातायात सहायक सड़क पर उतरकर रोडवेज बसों की जांच करते हैं. बेटिकट यात्री ले जाने वाले ड्राइवर कंडक्टर को पकड़ते हैं. इससे जहां ड्राइवर कंडक्टरों में रूट पर बस संचालन के दौरान भय व्याप्त रहता है. वहीं, किसी तरह की चोरी करने पर जब पकड़े जाते हैं तो जुर्माना भरते हैं, जिससे रोडवेज को इसका फायदा मिलता है, लेकिन यूपीएसआरटीसी की छवि को धूमिल करने में भी तमाम अधिकारी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
ईमानदारी से जो अफसर काम करता है उसे ठिकाने लगा दिया जाता है और बेईमानों को खूब बढ़ावा दिया जाता है. इसका एक उदाहरण है यातायात अधीक्षक कमल किशोर आर्य. केके आर्य ने झांसी रीजन में तैनाती के दौरान एक बड़े खेल का पर्दाफाश किया. इसी साल पांच मई को कोंच-झांसी मार्ग पर एक बस यूपी 93 एटी 4944 के संविदा परिचालक को चेकिंग के दौरान उन्होंने पकड़ा. परिचालक सुनील शाक्या का जब मोबाइल चेक किया गया तो प्रवर्तन दस्ते ही सन्न रह गए. दरअसल, इस परिचालक के मोबाइल पर छानबीन के दौरान 'लल्लनटॉप' नाम का एक व्हाट्सएप ग्रुप ऑपरेट हो रहा था. इस ग्रुप पर झांसी क्षेत्र की सभी प्रवर्तन वाहनों, सभी अधिकारियों और सभी निरीक्षण कर्ताओं की करंट लोकेशन लगातार अपडेट हो रही थी. इसके बाद उन्होंने मोबाइल को जब्त कर लिया. इसी ग्रुप के सहारे निगम को जमकर राजस्व की चपत लगाई जा रही थी.
दो माह के अंदर अफसर का ट्रांसफरअधिकारियों और चालक-परिचालकों के मजबूत काकस का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जिस अधिकारी ने 'लल्लनटॉप' जैसे व्हाट्सएप ग्रुप से रोडवेज को चपत लगाने वालों को पकड़कर रोडवेज हित में काम किया, उसी अधिकारी को दो महीने के अंदर ही झांसी रीजन से ट्रांसफर कर कानपुर रीजन भेज दिया गया. पांच मई 2022 को यातायात अधीक्षक कमल किशोर आर्य ने झांसी क्षेत्र में इस ग्रुप का पर्दाफाश किया था और 30 जून 2022 को एक माह 25 दिन में हटा दिया गया.
यातायात अधीक्षक कमल किशोर का जब कानपुर रीजन में तबादला हो गया तो उन्होंने यहां पर ईमानदारी से अपनी नौकरी करनी शुरू कर दी. झांसी रीजन में जहां उन्होंने पांच मई को चेकिंग के दौरान 'लल्लनटॉप' जैसे व्हाट्सएप ग्रुप का पर्दाफाश किया. वहीं, लगभग ढाई माह के बाद कानपुर रीजन में भी चेकिंग के दौरान 'दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे' जैसे व्हाट्सएप ग्रुप को ऑपरेट करते हुए पकड़ लिया.
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27 जुलाई को कानपुर-फतेहपुर मार्ग पर संचालित बस यूपी 71 टी 7486 के परिचालक विनय सिंह का मोबाइल जब्त किया और इसकी बारीकी से छानबीन की. छानबीन में बाकायदा 'दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे' व्हाट्सएप ग्रुप ऑपरेट हो रहा था. इस पर कानपुर क्षेत्र के सभी प्रवर्तन वाहनों, निरीक्षणकर्ताओं की करंट लोकेशन अपडेट हो रही थी. जाहिर सी बात है कि जमकर राजस्व का नुकसान परिवहन निगम को पहुंचाया जा रहा था.
एक सप्ताह के अंदर बदल दिया गया क्षेत्र
यातायत अधीक्षक केके आर्य को इस ग्रुप को पकड़कर रोडवेज को नुकसान पहुंचाने से रोकने की सजा यह मिली कि एक सप्ताह के अंदर ही उनका कार्यक्षेत्र कानपुर रीजन से प्रयागराज रीजन कर दिया गया. 27 जुलाई को उन्होंने यह ग्रुप पकड़ा था और तीन अगस्त को परिवहन निगम मुख्यालय की तरफ से नए क्षेत्र का आबंटन कर दिया गया. इस कार्रवाई ने रोडवेज अधिकारियों की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर दिए.
एएमडी से लगाई गुहार
तबादले और कार्यक्षेत्र से परेशान होकर अब आर्य ने परिवहन निगम की अपर प्रबंध निदेशक अन्नपूर्णा गर्ग के सामने उपस्थित होकर गुहार लगाई है कि आखिर उन्हें ईमानदारी से काम करने की सजा बार-बार ट्रांसफर कर और कार्यक्षेत्र बदलकर क्यों दी जा रही है? आखिर उनका दोष भी क्या है? क्या परिवहन निगम के हित में काम करने का यह ईनाम मिल रहा है? फिलहाल अब इस मामले में एएमडी ने उनकी बात सुनी है और उम्मीद है कि कुछ सही फैसला हो सकता है.
इस तरह ग्रुप से लूट को दिया जा रहा अंजाम
रोडवेज के ड्राइवर और कंडक्टरों ने इन नामों से ग्रुप बनाए हुए हैं. दोनों ग्रुप में ढाई-ढाई सौ से ज्यादा चालक-परिचालक जुड़े हैं. जैसे ही किसी रूट पर चेकिंग अधिकारी चेकिंग करने उतरते हैं वैसे ही इन्हीं ग्रुप पर उस रूट से गुजरने वाले चालक-परिचालक मैसेज डाल देते हैं. चेकिंग दस्ते की करंट लोकेशन शेयर कर देते हैं. इससे बिना टिकट यात्रियों को यात्रा करा रहे या फिर बिना बुकिंग के बसों में सामान लिए जा रहे चालक-परिचालक सक्रिय हो जाते हैं. ऐसे में इस रूट पर किसी भी तरह की चोरी पकड़ना असंभव हो जाता है. इससे रोडवेज को बड़ा नुकसान होता है तो ड्राइवर-कंडक्टर अपनी जेब भरते हैं.
क्या कहते हैं प्रधान प्रबंधक
परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक कार्मिक अतुल जैन का कहना है कि यातायात अधीक्षक कमल किशोर आर्य ने झांसी रीजन में बेहतर काम किया. कानपुर रीजन में भी अच्छा काम किया है. मुख्यालय के प्रवर्तन दस्तों को समय-समय पर अलग-अलग क्षेत्रों में तैनात किया जाता है. कानपुर से प्रयागराज के लिए उनका ट्रांसफर नहीं किया गया है, बल्कि कार्यक्षेत्र में बदलाव किया गया है जिससे वहां पर चेकिंग दस्ते मजबूत हो सकें. जहां तक बात 'लल्लनटॉप' और 'दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे' जैसे ग्रुपों को पकड़कर रोडवेज हित में काम करने की है तो निश्चित तौर पर केके आर्य ने बेहतर काम किया है. जिन परिचालकों का मोबाइल जब्त किया था उन पर कार्रवाई हुई कि नहीं, इसके बारे में जानकारी नहीं है. रीजन से जानकारी ली जाएगी.
क्या कहते हैं टीएस
यातायात अधीक्षक केके आर्य का कहना है कि अच्छा काम करने का बेहतर परिणाम तो नहीं मिला. ट्रांसफर और कार्यक्षेत्र बदलने की सजा जरूर मिलेगी. बार-बार ट्रांसफर और कार्यक्षेत्र में बदलाव के चलते परिवार को परेशानी हो रही है. घर में पत्नी की तबीयत खराब है. यह जानकारी अधिकारियों को दिए जाने के बावजूद दूर भेजा जा रहा है. 15 अगस्त को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ही परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह से परिवार सहित मुलाकात कर अपनी शिकायत दर्ज कर न्याय की मांग करूंगा.
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