लखनऊ: रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के वरिष्ठ नेता और रामदास आठवले के बेहद खास माने जाने वाले करन कुमार ने मंगलवार को राजधानी लखनऊ स्थित अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान पहुंचकर बौद्ध लीडर भदंत शांति मित्र से मुलाकात की. इस दौरान जल्द ही यूपी में बुद्ध धम्म यात्रा निकाले जाने पर रणनीति तय की गई.
यूपी की सियासत में RPI की एंट्री, बुद्ध धम्म यात्रा से वोट बैंक बढ़ाने की कवायद - ऑल इंडिया भिक्षु संघ
केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले की रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI) ने भी यूपी की राजनीति में एंट्री करने का मन बना लिया है. उन्होंने ऑल इंडिया भिक्षु संघ के अध्यक्ष से लखनऊ में मुलाकात की. उनकी नजर यूपी में अल्पसंख्यक और दलित वोट बैंक पर है.
करन कुमार ने ईटीवी भारत को बताया की इस यात्रा का मकसद भगवान बुद्ध के विचारों, योगी सरकार और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया की नीतियों को हर गांव, हर गरीब और बाबा साहब भीमराव आंबेडकर को मानने वाले लोगों तक पहुंचाना है. उन्होंने कहा कि इस यात्रा का आगाज यूपी के वाराणसी से किया जाएगा और हर जिले व कस्बों से होकर गौतमुद्धनगर पर इसका समापन किया जाएगा. इस यात्रा में बौद्ध धर्मगुरुओं के साथ RPI पार्टी के नेता और कार्यकर्ता शामिल होंगे.
ये भी पढ़ें- Horoscope Today 4 August 2021 राशिफल : मेष, मिथुन, तुला राशि वाले रहें सतर्क, कर्क राशि वालों को 'अर्थलाभ'
बीते दिनों लखनऊ में पार्टी प्रमुख रामदास आठवले ने शिया धर्मगुरु से मुलाकात कर मुस्लिम वोट बैंक बढ़ाने की कोशिश की थी. उन्होंने सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर पार्टी के लिए 10 सीट की मांग भी रखी थी. मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात के बाद ट्वीट कर आठवले ने कहा कि सीएम से लखनऊ में विविध विषयों पर महत्वपूर्ण चर्चा की गयी. बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ एनडीए गठबंधन में आरपीआई को 10 सीट पर प्रत्याशी उतारने की मांग पर मुख्यमंत्री ने सकारात्मक आश्वासन दिया है.
गौरतलब है कि दलित वोट बैंक से जहां एक ओर बसपा को झटका देने के लिए रामदास आठवले गाजियाबाद से बहुजन कल्याण यात्रा का सितम्बर महीने में आगाज करने जा रहे है. वहीं पार्टी के नेताओं ने बौद्ध लीडर से मुलाकात कर वाराणसी से बौद्ध समाज के साथ बुद्ध धम्म यात्रा निकालने का रोड मैप तैयार कर लिया है. उत्तर प्रदेश की सियासत में अल्पसंख्यक वोट बैंक काफी निर्णायक भूमिका में रहता है. इसका 2022 के विधानसभा चुनाव में खासा असर देखा जा सकता है.