लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैला, ऐसे में यह कम्युनिटी ट्रांसमिशन में तब्दील हुआ या नहीं इसका पता लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से प्रदेश भर में सीरो सर्वे कराया जा रहा था. लेकिन, दो महीने बीत जाने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग राजधानी में अभी तक सीरो सर्वे नहीं करा पाया है.
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही
उत्तर प्रदेश में कोरोना के सामुदायिक संक्रमण का पता लगाने के लिए दो महीने पहले एक सर्वे किया गया था. लेकिन, इस सर्वे की रिपोर्ट स्वास्थ्य निदेशालय के कर्मचारी अब तक नहीं दे पाए है और ना ही इस बारे में कुछ भी स्पष्ट जानकारी दे पा रहे हैं. 4 सितंबर से सीरो सर्वे शुरू किया गया था. यह सर्वे कुल 5 दिनों तक चलाया गया. इस सर्वे के पूरा होने के बाद सितंबर के आखिरी सप्ताह तक ही इसकी रिपोर्ट आ जानी चाहिए थी. लेकिन, नवंबर का महीना शुरू होने के बाद भी इस सर्वे की रिपोर्ट लापता है.
1600 लोगों के लिए गए थे नमूने
आपको बता दें कि इस सर्वे के तहत लोगों की कोरोना, हेपेटाइटिस बी और सी की जांच होनी थी. इसके लिए 10 टीमें बनाई गई थीं. इन टीमों ने राजधानी लखनऊ में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से रोजाना 320 लोगों के नमूने लिए थे. इस प्रकार 5 दिनों में कुल 1600 नमूने एकत्र करके जांच के लिए केजीएमयू भेजे गए थे. इन नमूनों में 60 प्रतिशत शहरी और 40 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों के नमूने थे. इस सर्वे के जरिए यह पता लगाया जाना था कि, शहरी और ग्रामीण आबादी में लोग किस अनुपात में कोरोना से संक्रमित हुए हैं और कितने फीसदी लोगों में कोरोना के प्रति हार्ड इम्युनिटी विकसित हुई है. इस सर्वे के माध्यम से लोगों के शरीर में कोरोनावायरस को हराने वाले एंटीबॉडी की मौजूदगी के साथ यह भी पता लगाया जाना था कि कितने लोग इस वायरस से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं. लेकिन, अब तक रिपोर्ट न आने से यह साबित कर पाना मुश्किल हो रहा है.
जिम्मेदार बोले
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ डीएस नेगी ने इस बारे में सवाल पूछे जाने पर कहा कि, नमूने जांच के लिए केजीएमयू में भेजे गए थे. इस पर वहीं के डॉक्टरों को शोध करना है. इसलिए सही जानकारी वही दे सकते हैं. सीरो सर्वे केजीएमयू के निगरानी में हुआ है. नमूनों की जांच व विश्लेषण के बाद रिपोर्ट भी उनको ही तैयार करनी है. केजीएमयू की तरफ से जल्दी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है.