लखनऊ: प्रदेश में बिजली आपूर्ति को लेकर इन दिनों पावर कॉरपोरेशन के अधिकारियों के माथे पर पसीना आ रहा है. गर्मी लगातार रौद्र रूप धारण करती जा रही है. यह बिजली विभाग के लिए मुसीबत का सबब बन रहा है. बिजली की खपत बढ़ी है तो ऐसे में बिजली आपूर्ति बेहतर करने के लिए महंगे दामों पर विदेशों से कोयले की खरीदारी शुरू हो गई.
इस खरीद पर नियामक आयोग ने राज्य विद्युत उत्पादन निगम से जवाब तलब किया है. नियामक आयोग ने पूछा है कि महंगा कोयला खरीद के लिए अनुमति ली गई थी या नहीं. क्या विदेश से कोयला खरीदने के लिए सरकार से पूछा गया था? नियामक आयोग ने कहा कि अगर महंगे कोयला खरीद का जवाब नहीं मिलता तो विदेशी कोयला खरीद पर जो भी खर्चा आएगा उसे नियामक आयोग खारिज कर देगा. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आरोप लगाया था कि महंगा कोयला खरीदने से बिजली भी काफी महंगी हो जाएगी.
निजी घरानों के दबाव में विदेश से कोयला खरीदने की प्लानिंग का आरोप भी उपभोक्ता परिषद ने लगाया है. कोल इंडिया की ओर से उत्पादन इकाइयों को 1700 रुपये के हिसाब से कोयला मिलता है. वहीं, यही कोयला जब विदेश से खरीदा जाता है तो इसकी कीमत 17,000 रुपये प्रति टन तक पहुंच जाती है. इसका सीधा सा मतलब यही है कि अगर 10 परसेंट कोयले की खरीदारी होती है तो बिजली दरों में 40 से 50 फीसद की बढ़ोतरी हो जाएगी.
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कोयले की कमी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि पिछले पांच से छह दिनों में झांसी के पारीछा पावर प्लांट पर कोल इंडिया से तकरीबन 20 रैक कोयला पहुंचाया गया. केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया था कि देश में कोयले की कमी नहीं है जबकि अब कोयला संकट सामने आ रहा है तो फिर विदेश से भी कोयला खरीदने की तैयारी कर ली गई.
नियामक आयोग ने विदेशी कोयले की खरीद को लेकर पूछा है कि विदेशी कोयले की कैलोरीफिक वैल्यू बहुत ज्यादा होती है ऐसे में क्या उत्पादन निगम की जो पुराने मशीनें हैं. उसमें विदेशी कोयला चल पाएगा? क्या उत्पादन निगम ने पावर कारपोरेशन से कोई सलाह ली है? उत्पादन निगम पावर काॅरपोरेशन के लक्ष्य के आधार पर बिजली दे रहा है. क्या उसमें कोई दिक्कत आई है? पिछले एक माह में उत्पादन की क्या स्थिति रही है क्या कोयले का संकट पैदा हुआ है?
कोयले की ढुलाई के लिए रेलवे से रैक प्राप्त हो रहे हैं. अगर उसमें कोई दिक्कत आ रही है तो उत्पादन निगम इसके बारे में जानकारी दे. आयोग ने कहा है कि जब विदेशी कोयला खरीद होगी तो वहां रेलवे के किस राज्य से उत्पादन निगम को कोयला पहुंच पाएगा? नियामक आयोग ने जानना चाहा है कि उत्तर प्रदेश में उत्पादन निगम ही क्यों विदेशी कोयला खरीदने की बात कर रहा है. दूसरी उत्पादन इकाइयां ऐसा क्यों नहीं करने की सोच रही? नियामक आयोग ने यह भी जानकारी मांगी है कि वर्तमान या फिर भविष्य में जो फोरकास्ट डिमांड रही है क्या वह घरेलू कोल लीकेज की जरूरत को पूरा करती है.
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