लखनऊ: लंबी दूरी की ट्रेनों में अक्सर पानी की सप्लाई की समस्या सामने आती है. कभी-कभी यात्रियों को शौचालय में भी पानी खत्म होने की समस्या का सामना करना पड़ता है. अब रेलवे ने इस समस्या को दूर करने के लिए क्विक वाटरिंग सिस्टम सुविधा शुरू की है. उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के मंडल रेल प्रबंधक सुरेश कुमार सपरा ने रविवार को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर चारबाग रेलवे स्टेशन पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की.
इस दौरान उन्होंने बताया कि अब क्विक वाटरिंग सिस्टम की सुविधा चारबाग रेलवे स्टेशन पर भी प्रारंभ कर दी गई है. कोई भी ट्रेन चारबाग स्टेशन पर पहुंचेगी. 10 मिनट के अंदर ही उसमें वाटर सप्लाई कर दी जाएगी. इससे अब यात्रियों को सफर में पानी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा.
उन्होंने बताया कि अक्सर ट्रेनों में पीने के लिए पानी का इस्तेमाल लोग कम करते हैं. इसीलिए उस पानी को सप्लाई के लिए रोक दिया जाता है. शौच के लिए ही ज्यादातर ट्रेनों में पानी का इस्तेमाल होता है.
उन्होंने बताया कि अयोध्या कैंट स्टेशन पर भी इसी तरह का क्विक वाटरिंग सिस्टम चल रहा है. इसके बाद वाराणसी जंक्शन स्टेशन पर भी ये सिस्टम लगाया जाएगा. उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें कंसेंट टू ऑपरेटिंग लेना होता है. साथ ही जल अधिनियम एवं वायु प्रदूषण निवारण नियंत्रण अधिनियम के अंतर्गत सीटीओ लिया जाता है. उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के 17 स्टेशनों के लिए सीटीओ लिया गया है. सीटीओ से पहले पर्यावरण के अधिकारी चेक करते हैं कि स्टेशन पर काॅलोनियों में जो जल की आपूर्ति की जा रही है वह मानकों के अनुरूप है?
मंडल रेल प्रबंधक एसके सपरा ने बताया कि इसके अलावा आईएसओ 9001 सर्टिफिकेशन होता है. वह तीन ट्रेनों के लिए किया गया है. गोमती एक्सप्रेस, लखनऊ मेल और काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस. आईएसओ 14001 पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली के लिए सर्टिफिकेशन होता है वह भी लखनऊ और वाराणसी स्टेशन के लिए अभी तक लिया गया है. जो हमारे अन्य प्रमुख स्टेशन हैं उनके लिए भी सर्टिफिकेशन लेने का प्रयास किया जा रहा है. सर्टिफिकेशन देने वाली अथॉरिटी के कुछ मानक होते हैं उन मानकों को पूरा करने के लिए कुछ कार्य कराने हैं वह कराए जा रहे हैं.
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वाटर रीसाइक्लिंग प्लांट वाराणसी स्टेशन पर शुरू हो चुका है. वाराणसी, रायबरेली और लखनऊ में भी काम चल रहा है. डीजल शेड आलमबाग में 18 किलो लीटर प्रति लीटर की कैपेसिटी का एक प्लांट चल रहा है. उन्होंने कहा कि रफ्तार मिशन के तहत कई काम कराए जा रहे हैं. 2024 तक जो भी इस मिशन के तहत कार्य पूरे कराने हैं उम्मीद है वे सभी पूरे हो जाएंगे.
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