लखनऊ: उत्तर प्रदेश के साथ पूरे देश में पॉलीथीन बैन कर दी गई है. इसे बनाने और इस्तेमाल करने दोनों पर रोक है. उत्तर प्रदेश में पॉलीथीन का धंधा बंद कराने की यह कोई नई कोशिश नहीं है. इससे पहले भी तीन सरकारें कोशिश कर चुकी हैं. मायावती, अखिलेश सरकार के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार में पॉलीथीन को पूरी तरह से बंद करने का प्रयास किया जा रहा है.
एक अनुमान के मुताबिक, सिर्फ उत्तर प्रदेश में हर महीने पांच हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार होता है. हजारों परिवारों की रोटी इस धंधे से चल रही है. बिना एक बेहतर विकल्प के इस पर रोक लगा पाना संभव नहीं होगा.
कारोबार से जुड़े लोगों को देना हाेगा विकल्प: पर्यावरणविद डॉ. सुरेश सिंह कहते हैं कि आम जनता को भी पता है कि पॉलीथीन के इस्तेमाल से पर्यावरण को नुकसान होता है. फिर भी लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि उन्हें अपने पर्यावरण की चिंता नहीं है. समस्या यह है कि लोगों के पास इसका बेहतर विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस दिशा में भी सोचना होगा. सिंगल यूज प्लास्टिक और उससे बने सामान का इस्तेमाल बंद करना होगा. इस कारोबार से जुड़े लोगों और परिवारों को विकल्प देना होगा.
लाखों की पॉलीथीन की गई जब्त :लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में लगातार एक जुलाई से ही पॉलीथीन को जब्त करने का विशेष अभियान चलाया जा रहा है. सिर्फ लखनऊ नगर निगम में ही बुधवार को 8 जोन में चले विशेष अभियान में 384 किलो प्रतिबंधित प्लास्टिक पकड़ी गई. करीब 3 लाख 83 हजार 100 रुपये बतौर जुर्माना इकट्ठा किया गया.
नगर निगम का यह है दावा:लखनऊ नगर निगम के नवनियुक्त नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह का कहना है कि उनकी ओर से शासन के आदेश पर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जल्द ही इसके प्रयोग में कमी देखी जायेगी.