लखनऊ : मच्छर विश्व के सबसे प्राणघाती कीटों में से एक है. इसमें मनुष्यों के भीतर रोग प्रसारित और रोग संचारित करने की क्षमता है. जिसके कारण विश्व में प्रतिवर्ष लाखों लोगों की मृत्यु हो जाती है. सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि मच्छर कई प्रकार के होते हैं, जो कि कई प्रकार के रोगों के संवाहक हो सकते हैं. रोगों के लिए एडीज, एनोफेल्स, क्यूलेक्स मच्छर मनुष्यों के बीच संक्रामक रोग प्रसारित कर सकते हैं. हर साल 30 फीसदी मलेरिया के मरीज दम तोड़ देते हैं. उन्होंने बताया कि बरसाती मौसम में मच्छरदानी लगाकर सोयें और अपने आस पड़ोस में पानी बिल्कुल जमा न होने दें.
डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि सिविल अस्पताल में तमाम तैयारी हो चुकी है. रोजाना अस्पताल में 150 से अधिक मरीज वायरल बीमारी के आते हैं. मच्छरों के कारण डेंगू, मलेरिया जैसे जानलेवा बीमारियों के होने का खौफ सताने लगता है. मच्छरों की करीब 3500 प्रजातियां पाई जाती हैं. हालांकि इनमें से ज़्यादातर नस्लें इसानों को बिल्कुल भी तंग नहीं करतीं. ये मच्छर पौधों और फलों के रस पर जिंदा रहते हैं. मच्छरों की केवल छह फीसद प्रजातियों की मादाएं अपने अंडों के विकास के लिए इंसानों का खून पीती हैं. इंसानों का खून पीने वाले इन मादा मच्छरों में से भी आधे ही अपने अंदर बीमारियों के वायरस लिए फिरते हैं. यानी कुल मिलाकर मच्छरों की केवल 100 नस्लें ही ऐसी हैं, जो इंसानों के लिए नुकसानदेह हैं.
प्रदेश भर के शहरी और ग्रामीण इलाकों के पीएचसी यानी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मुख्यमंत्री आरोग्य मेला आयोजित हुआ. मेले में 1 लाख 64 हजार 456 मरीजों को उपचार मिला. इनमें 27 हजार 885 बच्चे, 70 हजार 263 महिलाएं और 68 हजार 208 पुरुष शामिल रहे. इस दौरान 9 हजार 166 बुखार के रोगी भी पहुंचे. इनमें जांच के बाद चार मरीज मलेरिया से संक्रमित मिले. मेले में कोरोना के संभावित लक्षणों के साथ पहुंचे 9 हजार 904 मरीजों का एंटीजन टेस्ट किया गया. राहत की बात यह रही कि उनमें से किसी की भी रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं मिली.
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