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संत कबीरनगर के बीएसए का फरमान, सभी शिक्षक लेकर आएं एक-एक क्विंटल भूसा - बीएसए का फरमान

सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को अब 1-1 क्विंटल भूसा इकट्ठा करना होगा. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दिनेश कुमार ने खंड शिक्षा अधिकारी को आदेश जारी किए हैं.

सरकारी प्राइमरी स्कूल
सरकारी प्राइमरी स्कूल

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Published : May 25, 2022, 4:50 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को अब 1-1 क्विंटल भूसा इकट्ठा करना होगा. यहां के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी दिनेश कुमार ने इस संबंध में सभी खंड शिक्षा अधिकारी को आदेश जारी किया है. आदेश में साफ लिखा है कि प्रति शिक्षक एक क्विंटल भूसा मंडी समिति खलीलाबाद पर उपलब्ध कराएगा. सभी खंड शिक्षा अधिकारी को भी योगदान करने को कहा गया है. इसको लेकर शिक्षक संगठनों ने आपत्ति दर्ज कराई है. शिक्षकों का कहना है कि उनका काम पढ़ाना है. इस पर किसी का ध्यान नहीं है. पढ़ाई के अलावा सभी काम कराए जा रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह

बीएसए के पत्र में जिलाधिकारी के आदेश को आधार बनाया गया है. इसके मुताबिक, जिले में स्थापित आश्रम स्थल में संरक्षित गोवंश के भरण पोषण के लिए भूसा का भंडारण मंडी समिति खलीलाबाद में सुनिश्चित करने को कहा गया है. इसके अतिरिक्त सभी विभाग के अधिकारी अपने स्टाफ संख्या के अनुसार प्रति अधिकारी/कर्मचारी न्यूनतम एक क्विंटल भूसा दान करेंगे.

दूसरे जिलों में भी आ रहे हैं इस तरह के आदेश : इसी तरह का एक पत्र बीते दिनों जिला जालौन के मुख्य विकास अधिकारी डॉ. अभय कुमार श्रीवास्तव की ओर से भी जारी किया गया था. इसमें शिक्षकों को ग्राम पंचायत स्तर पर स्थाई/अस्थाई गोवंश आश्रयों में गोवंशों के लिए भूसा दान यात्रा निकालने के लिए कहा गया था. इस भूसा दान के लिए बेसिक शिक्षा परिषद के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को जिम्मेदारी देने की बात कही गई.

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यह है आपत्ति : प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह का कहना है कि इसकी शुरुआत जालौन से की गई. पहले शिक्षकों को भूसा यात्रा में लगाया गया. उसके बाद फिरोजाबाद के बीईओ और अब संत कबीर नगर के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का पत्र सामने आया है. शिक्षकों का इस समय अवकाश है. यह काम गांव के प्रधानों का होता है. वह जानवर को पकड़कर रखते हैं. इसके लिए सरकार की तरफ से पैसा भी दिया जाता है. इन सबमें शिक्षकों को क्यों घसीटा जा रहा है? शिक्षक का पद गरिमा का पद है. इसकी गरिमा बनाए रखना जरूरी है.

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