लखनऊ: परिवहन विभाग की फेसलेस व्यवस्था आवेदकों के चेहरों की हवाइयां उड़ा रही है. कई तरह की दिक्कतों की वजह से लाइसेंस हासिल कर पाना अब आवेदकों के लिए सपना हो गया है. फेसलेस व्यवस्था में घर बैठे लाइसेंस तो बन नहीं रहा, आरटीओ की दौड़ भी बेकार जा रही है. आवेदकों के सामने ओटीपी न आने, चेहरा प्रमाणित न हो पाने, परीक्षा में पास होने के बावजूद फेल किए जाने और टेस्ट ही न हो पाने जैसी समस्याएं आ रही हैं. चेहरा डिटेक्ट न कर पाने के कारण चीटिंग दिखाकर आवेदन ही रद्द हो रहे हैं. परिवहन विभाग को भी कुछ समझ नहीं आ रहा है. फिलहाल, अब स्लॉट बढ़ाने पर विचार होने लगा है.
इस तरह की आ रहीं दिक्कतें:अरुण कुमार नाम के आवेदक ने फेसलेस व्यवस्था के तहत पांच जून को लर्नर लाइसेंस के लिए टेस्ट दिया. बकायदा कंप्यूटर के सामने खुद कैमरा ऑन करके बैठे, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद कैमरे ने उनका चेहरा ही रीड नहीं किया. वायलेशन डिस्क्रिप्शन में यह दर्शाया गया कि आवेदक को डिटेक्ट ही नहीं किया जा पा रहा है. आवेदक अनुपस्थित है. थोड़ी देर बाद अरुण ने बैठने के अंदाज में बदलाव किया तो सामने आया कि जो पर्सन डिटेक्ट हुआ है वह अरुण कुमार नहीं बल्कि कोई दूसरा है. इस तरह की समस्या के बाद अरुण कुमार लाइसेंस बनवाने में असफल हुए. इसी तरह 13 जून को मोहम्मद तालिब नाम के आवेदक ने फेसलेस व्यवस्था के तहत टेस्ट देने का प्रयास किया. तमाम प्रयास कर डाले, लेकिन टेस्ट नहीं हो पाया. समस्या सामने आई कि एप्लीकेंट को डिटेक्ट नहीं किया जा सका. यानी चेहरा पढ़ने में कैमरा नाकाम हुआ.
14 जून को विवेक सिंह चौहान नाम के आवेदक ने भी प्रयास किया कि फेसलेस व्यवस्था के चलते समय की बचत की जाए तो उन्होंने भी घर बैठे टेस्ट देना शुरू किया. कंप्यूटर के सामने बैठे, कैमरा ऑन किया, लेकिन फिर वही समस्या आई कि कैमरे पर कोई और व्यक्ति बैठा है. इसके बाद विवेक अनुपस्थित हो गए.