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मिशन शक्ति : एक करोड़ से अधिक महिलाओं को मिला स्वरोजगार

17 अक्टूबर 2020 को शारदीय नवरात्र के पहले दिन मातृशक्ति के लिए समर्पित 'मिशन शक्ति' की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बलरामपुर जिले से की थी. यह योजना आधी आबादी की सुरक्षा, स्वावलंबन और सम्मान का जरिया बन चुकी है.

मिशन शक्ति
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Published : Aug 16, 2022, 7:44 PM IST

लखनऊ : नवरात्र को मातृशक्ति की आराधना का पावन पर्व माना जाता है. आज से करीब दो साल पूर्व यानी 17 अक्टूबर 2020 को शारदीय नवरात्र के पहले दिन मातृशक्ति के लिए समर्पित 'मिशन शक्ति' की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बलरामपुर जिले से की थी. मकसद था आधी आबादी की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलंबन. 15 अगस्त 2022 को आजादी के अमृत महोत्सव के अपने संबोधन में भी मुख्यमंत्री ने इसका जिक्र किया था. फिलहाल योजना का चौथा चरण चल रहा है. इस योजना ने अपनी सार्थकता साबित की है. यह योजना आधी आबादी की सुरक्षा, स्वावलंबन और सम्मान का जरिया बन चुकी है. ग्रामीण क्षेत्रों में दस लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों का गठन कर एक करोड़ से अधिक महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा गया.


इस अभियान के तहत अब तक महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा के मद्देनजर प्रदेश के सभी 1584 थानों पर (जीआरपी सहित) महिला हेल्प डेस्क की स्थापना की गई. इनके जरिए करीब चालीस हजार शिकायतें निस्तारित की गईं. महिलाओं एवं बालिकाओं से संबंधी अपराधों पर प्रभावी अंकुश लगाने तथा उनमें सुरक्षा की भावना जागृत करने के उद्देश्य से पहली बार प्रदेश के सभी थानों में महिला बीट गठित की गई. मकसद यह था कि महिलाएं, महिला पुलिसकर्मियों से खुलकर अपनी समस्या बता सकें. शिकायतें और अभियोग दर्ज कराने के साथ ऐसा करने वालों के मन में डर पैदा हो, इसके लिए जोरदार पैरवी के जरिये सख्त सजा दिलाने पर भी बराबर का जोर रहा. नतीजतन महिला एवं बाल अपराध संबंधी अभियोजन की कार्यवाही में मृत्यु दंड-32, 10 वर्ष से अधिक की सजा-1191, अर्थदंड- 1431, आजीवन कारावास-1323, 10 वर्ष से कम 3420 सजा कराई गई.


महिलाओं को बुनियादी सुविधाओं के अभाव में सार्वजनिक स्थानों पर दिक्कत न हो, इसके लिए प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में महिलाओं के लिए 3535 पिंक टॉयलेट स्थापित किए गए. ग्रामीण क्षेत्रों में 50772 सामुदायिक शौचालयों का रखरखाव महिला स्वयं सहायता समूहों को हैंडओवर किया गया. बालिका के जन्म के प्रति आमजन में सकारात्मक सोच विकसित करने के उद्देश्य से लागू मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के अंतर्गत 1,55,000 नई पात्र बालिकाओं को लाभान्वित किया गया. इसी क्रम में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत अब तक दो लाख जोड़ों की दहेजरहित शादी कराई जा चुकी है.
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नारी सशक्तिकरण के लिए जारी प्रयासों के तहत महिला पट्टेदारों को 3328 तथा पात्र गरीब एवं असहाय महिला पट्टेदारों को 2792 आवासीय पट्टा अभिलेख वितरित किए गए. स्वामित्व योजना के अंतर्गत 17025 महिलाओं को ग्रामीण आवासीय अभिलेख वितरित किए गए. इसी क्रम में वरासत अभियान के अंतर्गत महिला खातेदारों को 19962 निःशुल्क खतौनी वितरित की गईं. ग्रामीण क्षेत्रों में दस लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों का गठन कर एक करोड़ से अधिक महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ा गया.

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