लखनऊ : पश्चिमी यूपी हो या पूर्वांचल, बड़े अपराधी दहशत फैलाने व बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिये AK-47 जैसे हथियारों का इस्तेमाल करते थे. घटना के बाद खूब हड़कंप मचता था. धीरे-धीरे सुरक्षा एजेंसियों ने सख्ती की. जिसके बाद अपराधियों ने ऐसे खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल कम कर दिया. इन दिनों फिर से यूपी में इन हथियारों ने अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है. बीते करीब दो महीने पहले शामली में बदमाश के पास से AK-47 बरामद हुई थी. फिर पंजाब में सिंगर मूसेवाला की हत्या में इस हथियार का इस्तेमाल किया गया. इसका कनेक्शन यूपी से निकलने पर हड़कंप मचा हुआ है. इन हथियारों के बरामद होने से कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं.
दो महीनों में दो बार निकला कनेक्शन :5 अप्रैल 2022 को शामली में पुलिस ने कुख्यात अनिल उर्फ पिंटू के पास से AK-47 बरामद की थी. पुलिस ने 1300 कारतूस व राउटर भी बरामद किया था. बताया जा रहा था कि उसने दुर्दांत अपराधी संजीव जीवा से 11 लाख रुपये में खरीदी थी. वहीं NIA सूत्रों के मुताबिक, पंजाब में रॉकस्टार सिद्धू मूसेवाला की हत्या में इस्तेमाल की गई AK-47 का भी कनेक्शन यूपी में बुलंदशहर के खुर्जा से निकला. जिसके बाद एनआईए जांच करने के लिए खुर्जा पहुंची थी. इन दोनों ही मामलों ने ये साफ कर दिया है कि अभी भी यूपी में AK-47 की खरीद फरोख्त जारी है.
यूपी की एजेंसियां ढूंढ रहीं तमंचे :अपराधी एक ओर खतरनाक हथियारों से वारदात कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ यूपी एसटीएफ व एटीएस राज्य में देशी तमंचों की बरामदगी कर वाहवाही लूट रही है. 26 जून 2022 को आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने पूर्वांचल में मऊ जिले के घोषी में देशी तमंचा बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया था. जिसमें 9 तमंचे, लोहे का चापड़ समेत 10 कारतूस बरामद किये थे. यही नहीं 4 मार्च 2022 को पश्चिमी यूपी के अलीगढ़ में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने देशी कट्टे बनाने वाली फैक्ट्री में छापेमारी कर 19 तमंचे बरामद किए थे. आये दिन दोनों ही सुरक्षा एजेंसी सिर्फ देशी तमंचों की बरामदगी करती है, जबकि अपराधी AK-47 व स्टेनगन जैसे हथियारों की खरीद फरोख्त कर रहे हैं.
घटनाओं के बाद नहीं मिलती थी AK-47 :यूपी में सबसे पहले 90 के दशक में इस हथियार का खौफ फैला. अपराधी अब तक AK-47 से 30 से अधिक वारदातों को अंजाम दे चुके हैं. इसका इस्तेमाल करने वाले कुछ अपराधी एनकाउंटर में मारे गए, कुछ को सजा हो गई. बावजूद इसके पुलिस आज तक एक भी एके-47 बरामद नहीं कर पाई. मुन्ना बजरंगी, मुख्तार अंसारी, श्री प्रकाश शुक्ला व संजीव जीवा जैसे दुर्दांत अपराधियों ने अपराध के लिए इस हथियार का जमकर इस्तेमाल किया. जिसमें कुछ मारे जा चुके हैं और कुछ जेल में हैं.
क्या कहते हैं पुलिस के पूर्व अधिकारी :यूपी के पूर्व डीजीपी एके जैन का मानना है कि AK-47 एक तरह का टेरर वेपन है. जो सामान्य अपराधियों के पास नहीं होता है. ऐसे में एक बार फिर अपराधियों के पास ये हथियार होना घातक है. जैन कहते हैं कि एसटीएफ, एटीएस व स्थानीय पुलिस को इसे गंभीरता से लेना चाहिये.
रिटायर्ड डिप्टी एसपी श्याम शुक्ला कहते हैं कि AK-47 की बिक्री लाखों में होती है. इसलिए अपराधी इसे खरीदने से अधिक इसकी अदला-बदली ज्यादा करते हैं. उनके मुताबिक, अधिकतर मामलों में पुलिस या फिर सुरक्षा एजेंसियों को अपराधी तो मिल गए, लेकिन AK-47 बरामद नहीं हो पाई. कारण यही है कि ऐसे हथियार सिर्फ उस वक्त निकाले जाते थे जब किसी बड़ी घटना को अंजाम देना होता था. उनका मानना है कि सुरक्षा एजेंसियों को एक बार फिर से उतनी ही मुस्तैदी से सतर्क होने की जरूरत है जैसे उन्होंने यूपी से जंगलराज खत्म करने के वक़्त दिखाई थी.
ये भी पढ़ें : 'काली' फिल्म के विवादास्पद पोस्टर को लेकर लखनऊ में डायरेक्टर के खिलाफ FIR दर्ज
जब पहली बार चली थी AK-47 : मामला यूपी के जौनपुर जिले का था. 26 जनवरी 1996 को रामपुर थाना का जमालापुर तिहरा के पास मुन्ना बजरंगी ने फिल्मी स्टाइल में वैन से उतरकर चाय पी रहे पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष राजकुमार सिंह, पूर्व ब्लॉक प्रमुख कैलाश दुबे और समाजसेवी बांके तिवारी की 40 राउंड फायरिंग कर हत्या कर दी थी. यूपी में पहली बार हत्या करने में AK-47 का इस्तेमाल हुआ था. इसके बाद श्री प्रकाश शुक्ला ने 1 अगस्त 1997 को दिलीप होटल में चार युवकों भून दिया था. साल 2005 में भाजपा विधायक की AK-47 से 500 राउंड गोलियां चलाकर हत्या कर दी गयी थी. इस हत्याकांड के पीछे माफिया मुख्तार अंसारी का हाथ था. पश्चिमी यूपी में दादरी में जनता दल के विधायक महेंद्र सिंह भाटी की हत्या भी इसी हथियार से की गयी थी. इसमें बाहुबली डीपी यादव का नाम आया था.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप