लखनऊ : मुख्तार अंसारी के बेटे व विधायक अब्बास अंसारी की शस्त्र लाइसेंस में फर्जीवाड़ा करने के मामले में अग्रिम जमानत याचिका को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है. न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि अभियुक्त ने खुद को इंटरनेशनल शूटर बताते हुए जो हथियार अपने पास रखे, वे स्पोर्ट्स शूटिंग में प्रतिबंधित हैं, लिहाजा यह एक गम्भीर मामला है. यह निर्णय न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने अब्बास अंसारी की अग्रिम जमानत याचिका पर पारित किया.
न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की है कि इस मामले में निचली अदालत द्वारा अभियुक्त को सात बार समन व दो बार जमानती वारंट जारी किया जा चुका है, बावजूद इसके अभियुक्त हाजिर नहीं हुआ. इसके बाद निचली अदालत ने 15 जुलाई, 27 जुलाई व 11 अगस्त को उसके खिलाग गैर जमानती वारंट जारी किया, फिर भी अभियुक्त ने आत्मसमर्पण नहीं किया, तब जाकर उसके खिलाफ फ़रारी की उद्घोषणा जारी की गई. न्यायालय ने कहा कि इन सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद, यह कोर्ट अभियुक्त को अग्रिम जमानत देने का कोई आधार नहीं पाती है.
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उल्लेखनीय है कि इस मामले में 26 अगस्त को सुनवाई के उपरांत न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. अभियुक्त की ओर से कहा गया था कि वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर का शूटर है, उसे अपने लाइसेंस पर सात असलहों तक रखने का अधिकार है. यह भी कहा गया कि शस्त्र लाइसेंस के दिल्ली में स्थानांतरित होने के सम्बंध में वहां के अधिकारियों द्वारा लखनऊ के जिलाधिकारी को पत्राचार किया गया था, लिहाजा यह नहीं कहा जा सकता कि अभियुक्त ने शस्त्र लाइसेंस के स्थानांतरण की बात छिपाई. वहीं अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए, राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि अभियुक्त के पास कुल आठ असलहे बरामद की गए थे, यही नहीं चार हजार से ज्यादा कारतूस भी बरामद की गए थे. कहा गया कि जो असलहे व कारतूस बरामद की गए थे, वे मेटल के थे और जिन्हें स्पोर्ट शूटिंग में प्रयोग नहीं किया जा सकता है. अभियुक्त ने इन असलहों को खरीदने के लिए एक ही लाइसेंस के दो यूआईडी का इस्तेमाल किया. कहा गया था कि अभियुक्त का आपराधिक इतिहास भी है.
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