लखनऊ:राजधानी के महिला अस्पतालों में हुई डिलीवरी के आंकड़े जारी किए गए. आंकड़े बताते हैं कि किस महीने में कितनी महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी (vaginal delivery) हुई है और कितनी महिलाओं की सिजेरियन विधि (cesarean section) से डिलीवरी की गई. कुछ अस्पतालों में सिजेरियन विधि से ज्यादा डिलीवरी करवाई गई थीं तो कुछ अस्पतालों में नॉर्मल डिलीवरी ज्यादा हुईं.
महिला अस्पतालों में नॉर्मल की तुलना में अधिक सिजेरियन डिलीवरी?
राजधानी के महिला अस्पतालों ने जनवरी से जून महीने तक के आंकड़े जारी किए गए, जिसमें पाया गया कि कई अस्पतालों में नॉर्मल डिलीवरी (vaginal delivery) की तुलना में अधिक सिजेरियन डिलीवरी (cesarean section) कराई गई थीं.
क्वीन मेरी अस्पताल केजीएमयू में सिजेरियन विधि से डिलीवरी अधिक हुई थीं. अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ व मीडिया प्रभारी डॉ. रेखा सचान ने बताया कि अस्पताल में सिजेरियन विधि से अधिक डिलीवरी इसलिए होती हैं क्योंकि राजधानी के छोटे महिला अस्पतालों के सीरियस केस रेफर होकर केजीएमयू के क्वीन मेरी अस्पताल में आते हैं. यही वजह है कि सीरियस केस में हम सिजेरियन विधि से ही डिलीवरी करवाते हैं.
हजरतगंज स्थित वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. रंजना खरे बताती हैं कि जनवरी से जून तक के आंकड़े अस्पताल ने जारी किए हैं. हमारे यहां जब आंकड़े जारी होते हैं तो उन्हें बोर्ड पर लगा दिया जाता है. जनवरी से जून तक के महीने की बात करें तो मार्च में 158 सिजेरियन डिलीवरी हुईं. इसके अलावा फरवरी में 125 और अप्रैल में 108 सिजेरियन डिलीवरी हुई थीं. अप्रैल महीने में सबसे अधिक नॉर्मल डिलीवरी 99 हुई थीं.
डॉ. रेखा सचान ने कहा कि अगर रोज का हिसाब देखें तो करीब 200 गर्भवती महिलाएं ओपीडी में परामर्श के लिए आती हैं. रोजाना सात से आठ नॉर्मल डिलीवरी और 10 से अधिक सिजेरियन डिलीवरी करवाई जाती हैं. आखिरी महीने जून में अस्पताल में 123 नॉर्मल डिलीवरी हुई थीं, जबकि 187 सिजेरियन डिलीवरी कराई गयी थीं. रेफरल केस आने की वजह से अस्पताल में सिजेरियन डिलीवरी, नॉर्मल की तुलना में अधिक होती हैं.
बलरामपुर अस्पताल के अवंतीबाई महिला अस्पताल में मार्च में सबसे अधिक 158 नॉर्मल डिलीवरी हुई थीं. जबकि फरवरी में 121 और अप्रैल में 106 नॉर्मल डिलीवरी करवाई गयीं. अगर सिजेरियन की बात की जाए तो जनवरी में 78 और जून में 91 सिजेरियन डिलीवरी हुई थीं. महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. पल्लवी बताती हैं कि अस्पताल के सभी डॉक्टरों की पहली कोशिश होती है कि महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी कराई जाए. जब जटिलताएं अधिक होती हैं तो सिजेरियन डिलीवरी कराई जाती है.