लखनऊ: साल 2015 में आये विनाशकारी भूकंप के बाद नेपाल से लगती भारतीय सीमा में मानव तस्करी, ख़ासकर बच्चों, लड़कियों और महिलाओं की, में भारी बढ़ोत्तरी हुई है. तस्करी के लिए सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती जिलों का इस्तेमाल हो रहा है. इसे रोकने के लिए अब यूपी के कई अलग-अलग संगठनों ने हाथ मिलाया है और वो एसएसबी के साथ मिल कर बॉर्डर के गांवों में जागरूकता कार्यक्रम चलाने जा रही हैं. इससे कहीं हद तक तस्करी रुकने में कामयाबी मिल सकेगी.
बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) की सदस्य सुचित्रा ने कहा कि नेपाल से पिछले 6 सालों में तस्करी के मामलें काफी बढ़े हैं. कई मौकों पर सीमा सुरक्षा बल (एसएसबी) ने तस्करों के चुंगल से बच्चों को छुड़वाया है, फिर भी तस्करी अभी तक रुकी नही है. इसी को देखते हुए चाइल्ड हेल्प लाइन 1098, बाल कल्याण समिति और स्थानीय पुलिस ने एसएसबी के साथ एक करार किया है. इसके तहत वो बॉर्डर के दोनों तरफ मौजूद गावों में जागरूकता कार्यक्रम चलाएंगे.
उन्होंने कहा कि इंडो-नेपाल बॉर्डर का अधिकांश इलाका उत्तर प्रदेश से जुड़ता है, जिसमें बहराइच, महराजगंज समेत 6 जिलों की सीमा नेपाल से जुड़ती है. इन सभी सीमाओं में गांवों में जाकर वहां रहने वालों यह समझाया जाएगा कि कोई भी व्यक्ति कैसे यह पता लगाएगा कि जो बच्चा उन्हें दिख रहा है वो तस्करी कर लाया गया है. पहचान होने पर किसको सूचना देनी है. तस्करों को कैसे रोक कर रखना है. ऐसे कुछ बिंदु होंगे, जिन पर केंद्रित होकर जागरूकता कार्यक्रम चलेगा. सुचित्रा में मुताबिक गांव वालों को बच्चों के हाव-भाव पढ़ना, उनके डर को देखना, बच्चों के साथ रहने वालों की प्रतिक्रियाओं को समझना. ऐसी बातों को समझाया जाएगा.
भारत-नेपाल बॉर्डर यूपी के 6 जिलों से जुड़ता है. इसमें महराजगंज का सोनौली, बहराइच में रूपडीह, लखीमपुर खीरी जिले में गौरीफंटा व मुर्तिहा, श्रावस्ती जिले में ताल बघौरा, बलरामपुर जिले में तुलसीपुर व सिद्धार्थनगर जिले में बरहानी बाजार नेपाल के बॉर्डर से जुड़ते है. बच्चों के अधिकार के लिये काम करने वाले संगठन बचपन बचाओ आंदोलन के स्टेट कॉर्डिनेटर सूर्य प्रताप मिश्रा के मुताबिक, नेपाल में भूकंप के बाद तस्करी के मामलें गरीबी व भुखमरी की वजह से बढ़ी है. नेपाल से उत्तर प्रदेश के रास्ते बच्चों की होने वाली तस्करी 4 कारणों से होती है.
पहला कारण: नेपाल ने तस्करी करने वाली लड़कियों को कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज व बिहार के कई जिलों में शादी के कार्यक्रमों में डांस करवाने के लिए लाया जाता है. इसमें कुछ ही अपनी मर्जी से आती है बाकी डर या फिर मजबूरी में तस्करी कर यूपी लाई जाती है फिर उनसे ये कार्य कराए जाते हैं.