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यूपी में कुपोषित बच्चों को नहीं मिल पा रहा योजनाओं का लाभ, यह है वजह

उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में 1 से 30 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण माह (National Nutrition Month) मनाया जा रहा है. यूपी की योगी सरकार भले ही कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों को लेकर संवेदनशील दिखाई पड़ रही हो, लेकिन विभागीय कमियों के चलते कुपोषित बच्चे सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं.

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Published : Sep 22, 2022, 1:06 PM IST

लखनऊ : यूपी की योगी सरकार भले ही कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों को लेकर संवेदनशील दिखाई पड़ रही हो, लेकिन विभागीय कमियों के चलते कुपोषित बच्चों को सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं मिल पा रहा है. कारण कुपोषित बच्चों के लिए जिले स्तर पर बनाए गए पोषण एवं पुनर्वास केंद्र (Nutrition Rehabilitation Center) का ग्रामीण क्षेत्रों में ना होना है, जबकि यूपी में अधिकतर कुपोषित बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों में ही निवास करते हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग (Uttar Pradesh Commission for Protection of Child Rights) ने विभाग की कमी को देखते हुए सरकार को पत्र लिखा है.


उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में 1 से 30 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण माह (National Nutrition Month) मनाया जा रहा है, लेकिन इस बीच कुपोषित बच्चों की देख रेख करने के लिये जिलों में बने पोषण एवं पुनर्वास केंद्र (Nutrition Rehabilitation Center) के अधिकतर बेड खाली हैं. इसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि ज्यादातर कुपोषित व अति कुपोषित बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद हैं, जिससे उन्हें उनकी मातायें बच्चों को पोषण एवं पुनर्वास केंद्र (NRC) तक नहीं ला पाती हैं. बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार व चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की इसी कमी को देखते हुये राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने शासन को पत्र लिखा है.

बातचीत करते संवाददाता गगन दीप मिश्रा

आयोग की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी ने ईटीवी भारत को बताया कि उत्तर प्रदेश में पोषित बच्चों की संख्या काफी अधिक है. अगर देखा जाए तो हर जिले में 1000 से अधिक ही कुपोषित बच्चे मिलेंगे, लेकिन एनआरसी तक कुछ ही बच्चे पहुंच पाते हैं, शेष बच्चे रह जाते हैं. ऐसे में प्रत्येक बच्चा पोषणयुक्त हो, स्वस्थ हो और वह समाज का एक अच्छा नागरिक बन सके, इसके लिए जरूरी है कि जिला स्तर पर जो एनआरसी के 10 बेड बनाए जाते हैं, उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी बनाया जाए, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली महिलाएं आसानी से उन केंद्रों तक पहुंच पाएं और 14 दिन तक अपने बच्चों को पोषण दिलवाकर उन्हें स्वस्थ करा सकें. इसी को लेकर आयोग ने अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य व डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को एक पत्र लिखा है. सुचिता बताती हैं कि जिले स्तर पर बने NRC तक कुपोषित बच्चों के ना पहुंच पाने से उनके साथ अन्याय हो रहा है. उन्होंने कहा कि पोषण माह तभी सफल होगा जब हर जरूरत बच्चे को इस केंद्र में समुचित पोषण दिलाया जा सके.


क्या होता है NRC :पोषण पुनर्वास केंद्र (NRC) में 5 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों को भर्ती किया जाता है. 14 दिन के बच्चों को एनआरसी में रखकर इलाज व स्पेशल डाइट दी जाती है. जिसमें सही मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज तत्व युक्त भोजन आहार विशेषज्ञ द्वारा तैयार किया जाता है. यह आहार शुरुआती दौर में दो-दो घंटे बाद दिया जाता है. बाल रोग विशेषज्ञ भी देखभाल करते हैं. एनआरसी से बच्चे की छुट्टी होने के बाद बच्चे का चार बार फॉलोअप किया जाता है. यहां 10 बेड की व्यवस्था होती है.

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लखनऊ में कितने हैं कुपोषित बच्चे :लखनऊ में कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों की संख्या की बात करें तो सरोजनीनगर में कुपोषित 1437 अति कुपोषित 22, अलीगंज में कुपोषित 587 अति कुपोषित 49, माल में कुपोषित 33 अति कुपोषित 17, चिनहट में कुपोषित 252 अति कुपोषित 93, मोहनलालगंज में कुपोषित 1580 अति कुपोषित 46, गोसाईगंज में कुपोषित 615 अति कुपोषित 63, बख्शी का तालाब में कुपोषित 510 अति कुपोषित 169, काकोरी में कुपोषित 149 अति कुपोषित पांच, मलिहाबाद में कुपोषित 432 अति कुपोषित 32 व आलमनगर में कुपोषित 342 अति कुपोषित 127 बच्चे हैं. लखनऊ में कुल 5937 कुपोषित व 623 अति कुपोषित बच्चे हैं. वहीं कानपुर नगर में कुल 2067 कुपोषित व अति कुपोषित 316, मिर्जापुर में कुपोषित 18205 व 7135 अति कुपोषित बच्चे हैं.

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