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7 महीने बाद दोबारा गुलजार हुए यूपी के मदरसे, 50 फीसदी बच्चों के साथ शुरू हुई पढ़ाई

उत्तर प्रदेश में 7 महीने बाद सोमवार से स्कूल-कॉलेज खुल गए. इसके साथ ही प्रदेश के मदरसे भी खोल दिए गए हैं. जिसके बाद कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मदरसों में दोबारा छात्रों की पढ़ाई शुरू हो गई है.

madrasas reopen after 7 months
7 महीने बाद खुले मदरसे

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Published : Oct 19, 2020, 6:43 PM IST

लखनऊ:वैश्विक महामारी कोविड-19 के चलते 7 महीनों से बंद चल रहे शिक्षण संस्थान अनलॉक-5 में अब दोबारा खोल दिए गए हैं. यूपी में तमाम स्कूलों के साथ मदरसों को भी सोमवार से खोल दिया गया. राजधानी लखनऊ के दारुल उलूम फरंगी महल में इस दौरान शारिरिक दूरी के साथ कोविड-19 के प्रोटोकॉल के पालन के साथ ही बच्चों को मदरसे में प्रवेश दिया गया.

अनलॉक 5 में दोबारा खुले मदरसे

मदसरों में दोराबा शुरू हुई तालीम
कोरोना संकट के कारण देश के तमाम शिक्षण संस्थान पिछले 7 महीनों से बंद चल रहे थे. लेकिन, अनलॉक 5 को लेकर केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के तहत अब प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थान दोबारा से खोल दिये गए है. उत्तर प्रदेश में भी सोमवार से कक्षा 9वीं से 12वीं तक के स्कूलों को खोल दिया गया. इसी के साथ प्रदेश के मदरसे भी 19 अक्टूबर से दोबारा खुल गए. सोमवार को पहले दिन तकरीबन 7 महीनों बाद मदरसे दोबारा गुलजार नजर आए. इस दौरान मदरसों में मास्क लगाकर आये छात्रों को ही प्रवेश दिया गया.

कोविड-19 प्रोटोकॉल का हो रहा पालन

मदरसों में बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैठाया जा रहा है, साथ ही मुंह पर मास्क लगाना पूरी तरह अनिवार्य किया गया है. वहीं मदरसे के टीचर्स भी छात्रों से दूर बैठे नजर आये और मदरसे में प्रवेश से पहले सैनिटाइजर के इस्तेमाल की हिदायत देते रहे. दारुल उलूम फरंगी महल के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने बताया कि मदरसे में पूरी तरह से कोविड19 के प्रोटोकॉल को फॉलो किया जा रहा है और सरकार की गाइडलाइंस का पालन करते हुए बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. उन्होंने कहा कि सभी बच्चों को उनके अभिभावकों की इजाजत के बाद ही आने की अनुमति दी गई और गेट पर ही सैनिटाइजर और जिनके पास मास्क नहीं है उनके लिए मास्क की व्यवस्था भी कई गई है. मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि, मदरसे के छात्रों को पिछले दो महीनों से ऑनलाइन तालीम दी जा रही थी. लेकिन, आज जब दोबारा से सामने बैठकर तालीम दी जा रही है तो उसमें बच्चों को ज्यादा समझने में और पढ़ने में फर्क नजर आ रहा है. जिससे उम्मीद की जा रही है कि वापस से उनकी पढ़ाई पटरी पर लौटते हुए उनके पाठ्यक्रम को पूरा कराया जा सकेगा.

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