लखनऊ : राजधानी में करीब 15 हजार प्लॉटों में 300 करोड़ रुपये से ऊपर आम आदमी का फंसा हुआ है. यह प्लॉट उन 110 अवैध काॅलोनियों में हैं जिनको लखनऊ विकास प्राधिकरण (Lucknow Development Authority) ने सूचीबद्ध किया है. बता दें कि जब यहां प्लॉट बेचे जा रहे थे तब एलडीए के अभियंता एक अदद नोटिस देकर ही शांत हो गए थे. अब इन भूखंडों में हजारों आवंटी फंस चुके हैं और उनकी कोई सुनवाई नहीं की जा रही है. एलडीए अब इन सभी प्लॉटिंग को चिन्हित कर चुका है. जहां अब प्लाॅटों की खरीद फरोख्त पर रोक लगा दी है. लेकिन जो लोग फंस चुके हैं उनको न्याय कब मिलेगा यह बड़ा सवाल है.
राजधानी से जुड़े प्रत्येक हाइवे पर अवैध प्लाॅटिंग विकसित की जा रही है. सुल्तानपुर रोड, गोसाईंगंज, अयोध्या रोड, कानपुर रोड, सीतापुर रोड, कुर्सी रोड, रायबरेली रोड, हरदोई रोड, आगरा एक्सप्रेस-वे और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के किनारे अवैध प्लाॅटिंग जमकर की जा रही है. अवैध प्लाॅटिंग के जाल में लोगों को बड़े ही तरीके से फंसाया जाता है. सबसे पहले बिल्डर किसान से सस्ते दामों पर जमीन खरीदता है. जिसके बाद में आर्किटेक्ट से एक ले-आउट बनवाकर उसके हिसाब से मौके पर सड़क और बिजली के खम्भे लगाकर प्लाॅट की बिक्री शुरू कर दी जाती है. बिल्डर न ही एलडीए से ले-आउट पास करवाता है और न ही रेरा से पंजीकरण करवाता है. जिससे लोग इस जाल में उलझ जाते हैं. 20 लाख रुपये की औसत कीमत पर भूखंड बेचे जाते हैं. रजिस्ट्री विभाग के साथ घालमेल कर के इन भूखंड की रजिस्ट्री भी हो जाती है.
कन्फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के संयोजक आलोक सिंह ने बताया कि निश्चित तौर पर जब ये अवैध प्लाटिंग हो रही थी तो एलडीए के अधिकारियों की जानकारी में था. उनकी जानकारी के बावजूद 110 अवैध प्लाॅटिंग किस तरह से विकसित हो गईं. यह एक सवाल है. केवल अनियोजित ही नहीं एलडीए की नियोजित काॅलोनियों में भी आवंटन के साथ अनेक धोखे हुए हैं, इस पर अब तक ध्यान क्यों नहीं दिया गया.