लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्र छात्राओं की जरूरत के हिसाब अपना ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफार्म SLATE तैयार किया था. दूसरे राज्य को विश्वविद्यालयों को भी इस पर क्लास लेने की नसीहत तक दी गई. लेकिन, विश्वविद्यालय प्रशासन का यह सिस्टम अपने घर में ही फेल हो गया. हालत यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन के कहने के बावजूद ज्यादातर शिक्षक SLATE का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.
LU: दूसरे विश्वविद्यालयों को SLATE पर पढ़ाने का दावा, अपने यहां WhatsApp पर हो रही क्लास - whatsapp
लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपना ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफार्म SLATE तैयार किया. दावे किए गए कि यह बेहतरीन एजुकेशन प्लेटफार्म है लेकिन इसके बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों को अब भी व्हाट्सएप पर पढ़ाया जा रहा है.
शिक्षक व्हाट्सएप पर क्लास लेना ज्यादा बेहतर समझते हैं. जानकारों की माने तो 50 प्रतिशत शिक्षक भी अब SLATE का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. इसी का नतीजा है कि विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग में बने व्हाट्सएप ग्रुप में कुछ शरारती लोगों ने अश्लील मैसेज और वीडियो तक साझा कर दिए.
स्ट्रैटेजिक लर्निंग एप्लीकेशन फॉर ट्रांसफॉर्मेटिव एजुकेशन (SLATE) के नाम से लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपना ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म तैयार किया. कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान ऑनलाइन क्लास जारी रखने के लिए इसकी शुरुआत की गई थी. इसके कॉपीराइट भी लखनऊ विश्वविद्यालय के पास हैं. बीते दिनों लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इसकी सुविधा को सभी जुड़े हुए महाविद्यालयों के साथ ही अन्य विश्वविद्यालयों को भी दिए जाने की घोषणा की गयी. इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन शुल्क भी लेगा.
SLATE को लेकर शुरुआत से ही सवाल उठ रहे थे. इसमें सबसे बड़ी शिकायत इंटरनेट कनेक्टिविटी की है. शिक्षकों की मानें तो इसे इस्तेमाल करने के लिए हाई स्पीड इंटरनेट की आवश्यकता है. विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में गांव और दूरदराज के इलाकों से छात्र-छात्राएं पढ़ने आते हैं. वहां इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या है. ऐसे में हाई स्पीड इंटरनेट उपलब्ध हो पाना संभव नहीं है.
लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय को कुछ समय पहले ही वाराणसी स्थित संपूर्णानंद विश्वविद्यालय का कार्यवाहक कुलपति बनाया गया था. उस दौरान SLATE को संपूर्णानंद विश्वविद्यालय में लागू करने की तैयारियां पूरी कर ली गई थी. हालांकि, नए कुलपति के नियुक्त होने के बाद यह प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई.