लखनऊ: राजधानी के केजीएमयू ने लिवर के मरीजों को नई सौगात दी है. दरअसल लिवर के मरीजों को ज्यादा दिक्कत होने पर लिवर ट्रांसप्लांट जैसे महंगे इलाज कराना पड़ता हैं. इन्हीं सबको ध्यान में रखते हुए केजीएमयू ने एक नया तरीका निकाल लिया है. जिससे आने वाले दिनों में मरीजों को सस्ता व बेहतर इलाज इस तकनीकि से मिल पाएगा.
जानकारी देते केजीएमयू के डॉक्टर डी हिमांशु. जिन मरीजों का लिवर क्रॉनिक हो जाता है, उनका अब बिना ट्रांसप्लांट के भी काम चल सकेगा. लेकिन जिनका सिरोसिस होता है. उनमें ट्रांसप्लांट के अलावा कोई विकल्प नहीं है. ऐसे में एक्यू क्रोनिक वालों को लिवर सिरोसिस की मदद के बिना ट्रांसप्लांट के काम चल सकेगा. इस पूरे इलाज में करीब 50 हजार का खर्च आता है. जो लिवर ट्रांसप्लांट की तुलना में बहुत सस्ता है.
केजीएमयू ने अभी तक 8 मरीजों में इसको सफलतापूर्वक ऑपरेट किया है. लिवर फेरेसिस करने वालों मे केजीएमयू के डॉक्टर डी हिमांशु , डॉ तुलिका चंद्रा , व पीजीआई के डॉ. धीरज और डॉ. अमित गोयल है, वहीं डॉक्टर हिमांशु ने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी.
क्या होता है फेरेसिस?
इसमें पीड़ित का पूरा खून रेसिस मशीन से साफ किया जाता है. उसके शरीर में हीमोग्लोबिन आरबीसी आदि चढ़ाया जाता है. और एक व्यक्ति में करीब 15 यूनिट प्लाज्मा की जरूरत पड़ती है. इसमें चार चार दिन के अंतराल पर तीन से चार बार यह पूरी प्रक्रिया की जाती है और इस पूरी प्रक्रिया के हो जाने के बाद करीब डेढ़ से 2 हफ्ते तक ऑब्जर्वेशन पर रखकर मरीज का इलाज किया जाता है.