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यूपी की राजनीति: दूसरे राज्यों में 'हीरो', वह दल यहां साबित हो रहे 'जीरो'

देश के विभिन्न राज्यों में जिन पार्टियों का वर्चस्व है, वही पार्टियां उत्तर प्रदेश में शून्य पर हैं. इनमें पड़ोसी राज्य बिहार में सत्तासीन जनता दल यूनाइटेड, पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस के अलावा महाराष्ट्र की शिवसेना भी शामिल है. इन सभी के कार्यालय उत्तर प्रदेश में हैं.

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Published : Aug 24, 2021, 5:21 PM IST

लखनऊ: पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी हैं, लेकिन यूपी विधानसभा में बात रखने वाला एक नेता तक नहीं है. राष्ट्रीय जनता दल और लोक जनशक्ति पार्टी भी बिहार से लेकर देश की राजनीति पर छाई रही हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में यह भी फेल हैं. यूपी में इन दलों की चल ही नहीं रही है.

उत्तर प्रदेश में जमीन तलाश रहे दूसरे राज्यों के शीर्ष दल
जनता दल यूनाइटेड की वर्तमान में बिहार में सरकार है. इससे पहले भी जनता दल यूनाइटेड का अपने राज्य में तो दबदबा रहा ही, केंद्र की राजनीति में भी भरपूर दखल रहा. उत्तर प्रदेश में भी पार्टी ने लगातार अपने पैर जमाने के प्रयास किए, लेकिन वैसी सफलता नहीं मिली जैसी पार्टी को उम्मीद थी. हालांकि जनता दल यूनाइटेड के उत्तर प्रदेश से एक दशक से ज्यादा समय पहले विधायक, सांसद और मंत्री तक रह चुके हैं, लेकिन उसके बाद पार्टी का उत्तर प्रदेश में खाता नहीं खुल पाया है. 2007 में भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन के बावजूद पार्टी को कोई फायदा नहीं मिला. इसके बाद यूपी में पार्टी का संक्रमण काल शुरू हो गया, जो अब तक जारी है.
जनता दल यूनाइटेड
बिहार में लालू प्रसाद यादव के रहते राष्ट्रीय जनता दल ने इस राज्य में झंडे गाड़े. लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री रहे उनकी पत्नी राबड़ी देवी मुख्यमंत्री रहीं. राजनीति में जब लालू की सक्रियता कम हुई, तो उनके बेटे तेजस्वी यादव ने कमान संभाल ली. पिछले साल हुए बिहार के विधानसभा चुनाव में नितीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन को तेजस्वी यादव ने अकेले ही टक्कर दे डाली. बिहार में मजबूती के साथ खड़ी राष्ट्रीय जनता दल उत्तर प्रदेश में कोई भी करिश्मा नहीं कर पा रही है.
लोक जनशक्ति पार्टी, उत्तर प्रदेश

पार्टी पिछले कई विधानसभा चुनावों में अपने प्रत्याशी तो उतारती है लेकिन सफलता नहीं मिलती है. इस बार भी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी उतारने की तैयारी कर रही है, लेकिन पार्टी का इतिहास उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा है. इसलिए इस बार भी कोई करिश्मा हो पाएगा. इसकी उम्मीद कम ही है. पार्टी के नेता बताते हैं कि इस बार समाजवादी पार्टी के समर्थन से प्रत्याशी उतारे जाएंगे जिससे पार्टी को इसका लाभ मिलेगा और प्रत्याशी जीतेंगे.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

लोक जनशक्ति पार्टी भी उत्तर प्रदेश में अपनी किस्मत आजमाती रहती है, लेकिन उसे भी मेहनत का फल उत्तर प्रदेश की जमीन पर मिल नहीं पा रहा है. इस पार्टी का बिहार की राजनीति से लेकर देश की राजनीति में पूरा दखल रहा है. जब तक रामविलास पासवान जीवित रहे तब तक एनडीए में पार्टी का दबदबा रहा. कई मंत्री रहे. अब अंतर्कलह से पार्टी जूझ रही है. जहां तक उत्तर प्रदेश की बात करें, तो पार्टी के नेता बताते हैं कि 2002 से 2007 तक उत्तर प्रदेश में पार्टी की स्थिति काफी अच्छी थी. एक दर्जन से ज्यादा विधायक हुआ करते थे, लेकिन उसके बाद से गिरावट आई है. इस बार चिराग पासवान ने उत्तर प्रदेश के चुनाव की कमान संभाल ली है और अब यूपी में लोक जनशक्ति पार्टी बेहतरीन प्रदर्शन करेगी. फिलहाल एक दशक से ज्यादा समय हो चुका है पार्टी का कोई भी विधायक नहीं जीता है.

राष्ट्रीय जनता दल उत्तर प्रदेश
शिवसेना की बात करें, तो महाराष्ट्र में वर्तमान में पार्टी सत्ता में है. इससे पहले भी भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में हिस्सेदार रही. महाराष्ट्र में पार्टी का दबदबा है. उत्तर प्रदेश में पिछले कई साल से शिवसेना 150 से लेकर 200 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारती रही है, लेकिन सफलता शिवसेना से कोसों दूर हमेशा ही रही. शिवसेना के उत्तर प्रदेश प्रमुख ठाकुर अनिल सिंह बताते हैं कि साल 1991 में पवन पांडेय के रूप में पार्टी का एक विधायक जीता था, तब से लेकर अब तक जीत तो नहीं हुई है, लेकिन इस बार पार्टी नई रणनीति के साथ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उतर रही है. सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने की तैयारी है, जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी.
जनता दल यूनाइटेड प्रदेश प्रवक्ता शैलेंद्र कुमार
तृणमूल कांग्रेस का पिछले एक दशक से पश्चिम बंगाल में नेतृत्व है. ममता बनर्जी ने इस बार भी पश्चिम बंगाल में पार्टी का झंडा बुलंद किया है. फिर से वे बंगाल की सत्ता पर काबिज हुईं. इसके बाद पार्टी ने एलान किया कि अब देश के अन्य राज्यों में भी दायरा बढ़ाया जाएगा. बात उत्तर प्रदेश की करें, तो तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी तो मैदान में उतरते रहे, लेकिन जीत सिर्फ एक ही प्रत्याशी की होती रही. मांट सीट से श्याम सुंदर शर्मा ही विधायक बनते रहे. हालांकि भारतीय जनता पार्टी की आंधी में पिछले चुनावों में तृणमूल कांग्रेस की एक सीट भी खत्म हो गई.

अब उत्तर प्रदेश में पार्टी के हाथ खाली हैं, लेकिन इस बार ममता बनर्जी ने उत्तर प्रदेश की सियासत में जोरदार एंट्री करने की घोषणा की है. पार्टी इसकी तैयारी भी करने में जुट गई है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नीरज राय बताते हैं कि समाजवादी पार्टी से गठबंधन की बात चल रही है. पार्टी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार जरूर अच्छा प्रदर्शन करेगी. जनता भारतीय जनता पार्टी से उठ चुकी है. इस बार फूल नहीं खिलेगा, बल्कि तृणमूल की चलेगी.

राष्ट्रीय जनता दल प्रदेश महासचिव सुभाष यादव
राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश महासचिव सुभाष यादव का कहना है कि हम शुरू से ही उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ते रहे हैं. लगभग 100 सीटों पर पार्टी प्रत्याशी उतारती रही है. साल 2017 का चुनाव इसलिए नहीं लड़ा, क्योंकि समाजवादी पार्टी को समर्थन दिया था. हमारी पार्टी उत्तर प्रदेश में इतनी बड़ी नहीं है कि अकेले दम भारतीय जनता पार्टी को हरा पाए. इसलिए इस बार पार्टी उसी दल से गठबंधन करके चुनाव मैदान में उतरेगी, जो भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बेदखल करेगी. हमें इस बार पार्टी के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है.

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जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश प्रवक्ता शैलेंद्र कुमार का कहना है कि उत्तर प्रदेश में जनता दल यूनाइटेड नई नहीं है. पूर्व में हमारे कई विधायक और सांसद जीतते रहे हैं. सरकार में मंत्री तक रह चुके हैं. उत्तर प्रदेश में पार्टी काफी मजबूत है. हां यह जरूर है कि पिछले कुछ समय से यूपी में पार्टी वैसा प्रदर्शन नहीं कर पाई रही है जैसा पहले पार्टी का रहा था. इस बार विधानसभा चुनाव में पार्टी अच्छा प्रदर्शन जरूर करेगी.

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