लखनऊ: साल 1989 के बाद भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में अयोध्या का अहम स्थान हो गया. देशभर में भारतीय जनता पार्टी की जीत एक तरफ होती है और अयोध्या में अगर भाजपा की हार हो जाए, तो काफी आलोचना का सामना करना पड़ता है. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भी अयोध्या की सीट काफी महत्वपूर्ण है. राम मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद पहली बार यहां चुनाव होने जा रहा है. सीट के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस सीट से लड़ने की संभावना जताई जा रही थी.
एक बार फिर यहां पर 2017 के विधानसभा चुनाव वाली ही लड़ाई होगी. वर्ष 2017 में यहां से विधायक बने भाजपा के वेद प्रकाश गुप्ता को पार्टी ने दोबारा उम्मीदवार बनाया है. समाजवादी पार्टी ने भी 2017 में हारे पूर्व राज्य मंत्री पवन पांडे को अपना प्रत्याशी चुना है. भाजपा यहां बंपर जीत हासिल करके एक संदेश देना चाहती है. वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी इस सीट को जीतकर भाजपा को एक अलग तरह के संकट में डालने की जुगत में लगी हुई है.
अयोध्या सीट का इतिहास
- 2017 में भाजपा के वेद प्रकाश गुप्ता ने 10,714 वोट पाकर जीत हासिल की.
- 2012 में समाजवादी पार्टी के तेज नारायण पांडे उर्फ पवन पांडे ने 55,262 वोट पाकर जीत हासिल की.
- 2007 में भारतीय जनता पार्टी के लल्लू सिंह ने 58,493 वोट हासिल करके विधायक बने.
- 2002 में भाजपा के लल्लू सिंह ने 51,289 वोट पाए और जीते.
- 1996 में भाजपा के लल्लू सिंह 59,658 वोट पाकर विधायक बने.
- 1993 में भाजपा के लल्लू सिंह 58,587 वोट पाकर विधायक बने.
- 1991 में भाजपा के लल्लू सिंह 49,206 वोट पाकर जीते.
- 1989 में जनता दल के जय शंकर पांडे 31,899 वोट पाकर विधायक बने.
- 1985 में कांग्रेस के सुरेंद्र प्रताप सिंह 21,475 वोट पाकर विधायक बने.
- 1980 में कांग्रेस के निर्मल कुमार 33,095 वोट पाकर विधायक बने.
- 1977 में जयंती के जय शंकर पांडे 24,248 वोट पाकर विजेता बने.
- 1974 में भारतीय जनसंघ के वेद प्रकाश अग्रवाल 18,491 वोट पाकर विधायक बने.