लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सरकारी प्राइमरी, अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले पांच लाख से ज्यादा शिक्षक इस समय सरकार से नाराज हैं. प्रकरण अंतर जनपदीय स्थानांतरण को लेकर है. कई ऐसे शिक्षक हैं जो मेरठ, सहारनपुर जैसे इलाकों से आकर पूर्वांचल के गोरखपुर और दूसरे इलाकों में पढ़ाते हैं. शिक्षकों का कहना है कि बीते 5-5 वर्षों से स्थानांतरण नहीं हुए हैं. इधर, गर्मियों की छुट्टियों में अगर स्थानांतरण पर विचार नहीं किया गया तो सालभर बाद भी तबादले नहीं हो पाएंगे.
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में करीब 5 लाख शिक्षक पढ़ा रहे हैं. इन शिक्षकों की सबसे बड़ी समस्या अंतर जनपदीय स्थानांतरण बन गया है. शिक्षकों की ओर से लगातार अंतर जनपदीय स्थानांतरण की मांग की जा रही है जबकि सरकार इस प्रकरण पर चुप्पी साधे बैठी है. शिक्षकों का कहना है कि मई का महीना निकल गया है. जून में अगर स्थानांतरण नहीं हुए तो फिर साल भर नहीं हो पाएंगे. इसे लेकर शिक्षकों की ओर से बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह को सोशल मीडिया व प्रतिनिधि मंडल के माध्यम से बात पहुंचाई जा रही है.
सोशल मीडिया पर संदीप सिंह को टैग करते हुए सचिन कुमार ने लिखा, 'मंत्री जी आपके अनुसार ग्रीष्मकालीन अवकाश में अंतर जनपदीय स्थानांतरण होने थे. मई माह समाप्त होने को है. अभी तक स्थानांतरण नीति जारी नहीं हुई जो कि बहुत ही पीड़ादायक है. लाखों शिक्षक बड़ी बेसब्री से आपकी तरफ उम्मीद की किरण संजोए बैठे हैं. कृपया जल्द ही स्थानांतरण नीति की जारी करें'.
इसी तरह का संदेश देव कुमार ने भी लिखा है. वह लिखते हैं, 'सर, लखीमपुर जैसे जिलों से 15% की बाध्यता खत्म करके सभी शिक्षकों के तबादले सुनिश्चित करें व महिलाओं का वनवास खत्म करें'.