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हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाएं न कराने के फैसले पर पुनर्विचार करें प्रधानमंत्री: जगदीश गांधी - high school and intermediate students promoted

यूपी की राजधानी लखनऊ में स्थित सिटी मांटेसरी स्कूल के संस्थापक ने पीएम और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को एक पत्र लिखा है. उन्होंने सीबीएसई और आईसीएसई की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाओं को न कराने के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है.

सिटी मांटेसरी के संस्थापक ने पीएम मोदी को लिखा पत्र.
सिटी मांटेसरी के संस्थापक ने पीएम मोदी को लिखा पत्र.

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Published : Jun 12, 2021, 5:40 AM IST

लखनऊ:सिटी मांटेसरी स्कूल के संस्थापक अध्यक्ष जगदीश गांधी ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को एक पत्र लिखा है. उन्होंने सीबीएसई और आईसीएसई की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाओं को न कराने के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि परीक्षाएं न कराने से छात्र-छात्राओं का भविष्य खराब हो जाएगा. उन पर यह ठप्पा लग जाएगा कि वह कोरोना काल में प्रमोटेड छात्र हैं.

रक्षा मंत्री समेत कई मंत्रियों को भेजा पत्र
शुक्रवार को सिटी मांटेसरी स्कूल से वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में जगदीश गांधी ने कहा कि जब प्रधानमंत्री ने परीक्षाएं न कराने का फैसला लिया था, उस समय कोरोना वायरस विकराल था. तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए हमने भी इसका स्वागत किया था, लेकिन अब कोरोना वायरस नियंत्रण में है. संक्रमण बहुत ही कम है. ऐसी परिस्थिति में नीट और जेई की तरह हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं कराई जा सकती हैं. सीबीएसई ने निर्णय लिया, तो यूपी बोर्ड की भी परीक्षाएं कराने की बाध्यता होगी. उन्होंने केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, प्रकाश जाट और स्मृति ईरानी को भी पत्र लिखा है.

कोरोना गाइडलाइन के साथ हो परीक्षाएं
जगदीश साहनी ने कहा कि सारे स्कूल खाली पड़े हैं. 6 फीट की दूरी के साथ अगस्त माह में परीक्षाएं कराई जा सकती हैं. परीक्षा के दौरान मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया जाए. प्रयोगात्मक परीक्षाएं ऑनलाइन नहीं हो सकती, इसलिए परीक्षा कक्ष में ही परीक्षाएं कराना लाजमी होगा.

वापस करनी पड़ेगी फीस, प्रवेश में भी होंगी दिक्कतें
जगदीश गांधी ने कहा कि ऐसे छात्र छात्राओं को प्रवेश लेने में काफी दिक्कत होगी. उदाहरण के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में कट ऑफ अंकों के आधार पर प्रवेश होता है. प्रतिवर्ष 6 लाख से अधिक बच्चे 6 हजार सीटों के लिए आवेदन करते हैं. ऐसी स्थिति में दिल्ली विश्वविद्यालय को प्रवेश के लिए परीक्षा कराने की बाध्यता होगी, जिस पर काफी पैसा और समय खर्च होगा, जबकि सीबीएसई बोर्ड को वह करोड़ों रुपये वापस करने होंगे, जो उसने परीक्षा शुल्क के नाम पर लिए थे. साथ ही बोर्ड द्वारा तैयार कराई गई उत्तर पुस्तकें व प्रश्नपत्र बेकार चले जाएंगे.

विदेशों में पढ़ाई और छात्रवृत्ति से भी वंचित होंगे छात्र
जगदीश गांधी ने कहा कि सिर्फ सीएमएस के ही प्रतिवर्ष कम से कम 100 बच्चे विदेशों में पढ़ाई के लिए जाते हैं. वह दो लाख डॉलर तक छात्रवृत्ति पाते हैं. परेशान होने की स्थिति में वे इससे वंचित हो जाएंगे. परीक्षा न हुई तो मेधावी छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर भी नहीं मिल सकेगा.
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